नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के जंतर मंतर क्षेत्र में करीब 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों ने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी के आश्वासन के बाद आज अपना आंदोलन अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया। किसानों के नेता अयक्कन्नू ने संवाददाताओं से कहा, हमारी मांगों पर फैसला करने का अधिकार मुख्यमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री के पास है। अपने मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन के आधार पर हमने आंदोलन एक महीने के लिए स्थगित करने का फैसला किया है।
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उन्होंने कहा, अगर वायदे पूरे नहीं किए गए तो हम 25 मई को राष्ट्रीय राजधानी में बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता एम के स्टालिन, एमडीएमके नेता प्रेमलता विजयकांत, तमिल मनीला कांग्रेस प्रमुख जी के वासन और भाजपा के पी राधाकृष्णन के आश्वासनों के आधार पर भी यह फैसला किया गया।
किसान पिछले 41 दिनों से यहां आंदोलनरत थे। वे 40,000 करोड़ रूपए के सूखा राहत पैकेज, फसल ऋण माफी और कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना की मांग कर रहे हैं। इसके पहले उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा कई केंद्रीय और राज्य के मंत्रियों के अनुरोधों के बाद भी आंदोलन समाप्त करने से इंकार कर दिया था।
अयक्कन्नू ने कहा कि हम कल या परसों अपने घरों के लिए रवाना होंगे और 25 अप्रैल को तमिलनाडु में राज्यव्यापी बंद में शामिल होंगे। पलानीस्वामी ने आज यहां नीति आयोग की एक बैठक में भाग लिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसानों की मांगों के संबंध में एक ज्ञापन प्रधानमंत्री को सौंपा। मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान हमने अन्य मुद्दों के अलावा किसानों का मुद्दा भी उठाया।
अयक्कन्नू ने अपने आंदोलन को कामयाब बताते हुए आरोप लगाया कि केंद्र ने हमारी अनदेखी की और हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया। उन्होंने कहा, बहरहाल, आंदोलन कामयाब रहा और इसने दुनिया भर में लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। हमें देश भर से युवाओं और किसानों का समर्थन मिला।