शिमला: शिमला से दिल को छू लेने वाली एक खबर आई है। यहां दो महिलाओं की जिंदगी में ऐसा तूफान आया जिसमें जितनी खुशियां थी उतने ही गम भी। शिमला में दो महिलाओं के बच्चे जन्म लेने के साथ ही अस्पताल में बदल गए। पांच महीने तक दोनों महिलाएं बच्चों को पालती रहीं, पांच महीने बाद जब राज खुला तो दोनों को उनके असली बच्चे मिले, लेकिन 5 महीने तक एक मासूम पर ममता लुटा रही दोनों मांओं का दिल जुदाई के मौके पर तड़प उठा।
5 महीने पाला फिर बदले बच्चे
दुनिया की किसी भी मां के लिए मुमकिन नहीं कि वो अपने हाथों से अपना बच्चा हमेशा के लिए किसी को सौंप दे। 5 महीने तक अपना दूध पिलाकर जिसे पाल रही हो अचानक एक ही झटके में उसे रिश्ता तोड़ ले। ये कैसे मुमकिन है कि जिसे सीने से चिपकाकर रखती हो उसे कोई और लेकर हमेशा के लिए चला जाए।
शिमला से आई ये कहानी बड़ी अजीब है। यहां दो दुधमुहें बच्चे हैं। उन बच्चों की मां और पूरा परिवार है और अगले ही पलों में दोनों मां के बच्चे बदल जाएंगे। दोनों बच्चों की मां बदल जाएगी। घर बदल जाएगा और बदल जाएगा वो रिश्ता जो जन्म के साथ ही शुरू हो गया था।
डीएनए टेस्ट के बाद दिल के टुकड़ों की विदाई
पांच महीने पहले शिमला के कमला नेहरू अस्पताल में शीतल और अंजना के बच्चों को बदल दिया गया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने दोनों परिवारों को आपस में बैठकर मामला सुलझाने का आदेश दिया था। अंजना ने अस्पताल में एक बेटी को जन्म दिया था जबकि शीतल ने एक बेटे को लेकिन अस्पताल की लापरवाही से अंजना को बेटा दे दिया और शीतल को बेटी। तभी से अंजना शीतल के बेटे को अपना मानकर पाल रही थी और शीतल अंजना की बेटी को सीने से लगाकर रह रही थी। डीएनए से राज खुला तो दोनों बच्चे अपनी असली मां की गोद में चले गए लेकिन दोनों मां इस कड़वी हकीकत को कबूल करते हुए रो पड़े।
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दोनो मां को मिले अपने-अपने मासूम
दोनों बच्चे अपनी-अपनी असली मां के पास पहुंच गये। ये दोनों बच्चे तो मासूम है, उन्हें कुछ याद नहीं लेकिन शीतल और अंजना के लिए पांच महीने का वो वक्त भूलना आसान नहीं होगा जो उन्होंने बच्चों के साथ गुजारे हैं।