नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आम बजट टालने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा कि आम बजट पेश किए जाने से राज्य चुनावों में मतदाताओं का निर्णय प्रभावित होगा, इस बात के समर्थन में कोई उदाहरण देखने को नहीं मिलते।
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प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की जनहित याचिका विचारार्थ स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा, ऐसा एक भी ठोस उदाहरण नहीं है कि केन्द्रीय बजट पेश करने से राज्यों में होने वाले चुनाव में मतदाता प्रभावित होंगे
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि केन्द्रीय बजट में सरकार आचार संहिता का उल्लंघन करती है तो आप उसके पास फिर आ सकते हैं। केन्द्रीय बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है। संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि संविधान में केन्द्र, राज्य और समवर्ती विषयों का स्पष्ट विभाजन है और बजट पेश करना राज्यों के चुनाव, जो होते ही रहते हैं, पर निर्भर नहीं है।
कोर्ट शर्मा की इन दलीलों से प्रभावित नहीं हुआ कि केन्द्र अपने बजट में इन राज्यों के मतदाताओं को लुभाने वाली घोषणायें कर सकती है। पीठ ने कहा, आपकी दलील बेहूदा है। इस तरह तो आप कहेंगे कि केन्द्र में सत्तारूढ दल को राज्य के चुनाव नहीं लड़ने चाहिए। पीठ इस तर्क से भी सहमत नहीं हुई कि पहले भी केन्द्र ने विधान सभा चुनावों के कारण बजट पेश करना स्थगित कर दिया था। याचिका में कहा गया था कि केन्द्र सरकार को एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिये 2017-18 का बजट एक फरवरी की बजाय बाद में पेश करे।
केन्द्र सरकार पहले ही 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र बुलाने का निर्णय कर चुकी है। इसके अगले दिन एक फरवरी को केन्द्रीय बजट पेश किया जाना है।