Saturday, April 27, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने BS-III वाहनों की बिक्री पर 1 अप्रैल से रोक लगाई

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज एक अप्रैल, 2017 से बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक लगा दी है। अभी भी निर्माताओं के स्टॉक में 8.24 लाख BS-III वाहन हैं जिसकी अनुमानित कीमत 12 हजार

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: March 29, 2017 14:42 IST
BS-III Supreme Court- India TV Hindi
BS-III Supreme Court

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज एक अप्रैल, 2017 से बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक लगा दी है। अभी भी निर्माताओं के स्टॉक में 8.24 लाख BS-III वाहन हैं जिसकी अनुमानित कीमत 12 हजार करोड़ रुपये हैं।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने भारत चरण-तीन (बीएस-तीन) उत्सर्जन मानकों वाले वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर एक अप्रैल के बाद रोक लगाने की अपील करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। भारत चरण-चार उत्सर्जन मानक एक अप्रैल से प्रभाव में आने वाले हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर तथा न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वह इस मामले के क्रियात्मक हिस्से पर बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी।

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वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने पीठ से कहा कि वाहन कंपनियों को बीएस-तीन वाहनों के स्टॉक को निकालने के लिए करीब एक साल का समय चाहिए। ज्यादातर स्टॉक सात से आठ महीने में निकल जाएगा।

इनमें से 671308 दोपहिया वाहन, 40048 तिपहिया, 96724 व्यावसायिक वाहन और 16198 कारें हैं। ऑटो कंपनियों ने पीठ से गुहार लगाई कि उन्हें छह-सात महीने का वक्त दिया जाए, वे अपने स्टॉक को निकाल लेंगे।

उन्होंने कहा कि इन वाहनों को हटाने का काम धीरे-धीरे होना चाहिए क्योंकि वर्ष 2010 से मार्च 2017 तक 41 वाहन कंपनियों ने 13 करोड़ बीएस-तीन वाहनों का विनिर्माण किया है। फिलहाल वाहन कंपनियों के पास ऐसे लाखों वाहन स्टॉक में हैं।

उन्होंने कहा, हम प्रतिष्ठित कंपनियां हैं। हमें खलनायक के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिये। हम भाग नहीं रहे हैं। हम भी चाहते हैं कि हमारा वातावरण प्रदूषणमुक्त हो। हम कह रहे हैं कि हम दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगे। सिंघवी ने कहा कि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल, 2017 से ऐसे वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाना इस उद्योग पर अचानक धावा बोलने के समान होगा। वाहन उद्योग देश का दूसरा सबसे अधिक रोजगार देने वाला और सबसे उंची दर से कर देने वाला उद्योग है।

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने पीठ के समक्ष कहा था कि वर्ष 2005 और 2010 में भी नए उत्सर्जन मानक को जरूरी किया गया था लेकिन बावजूद इसके कंपनियों को पुराने स्टॉक को बिक्री की इजाजत दी गई थी।

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