नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ जवानों पर नक्सलियों के हमले के मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब यह सनसनीखेज तथ्य सामने आया है कि महिला नक्सलियों ने करीब 6 शहीद जवानों के प्राइवेट पार्ट्स काट दिए हैं। बस्तर में तैनात जवानों द्वारा आदिवासी महिलाओं व युवतियों के साथ ज्यादती के आरोप लगते रहे हैं। इस अमानवीय कृत्य को महिला नक्सलियों की बदले की कार्रवाई के रूप में भी देखा जा रहा है। (भारत के इस कदम ने उड़ाया अमेरिका, रूस और चीन के होश...)
इस भीषण हमले में 25 जवान शहीद हो गए थे। बाद में जब इनके शव लेने के लिए रेस्क्यू पार्टी मौके पर पहुंची तो पता चला कि कई जवानों के प्राइवेट पार्ट्स काट लिए गए थे। कुछ जवानों का गला रेता गया था, जबकि कुछ के चेहरे और सिर कुचल दिए गए थे। एक सीनियर पुलिस अफसर ने बताया, 'हम सिर्फ यही कह सकते हैं कि हमले में शहीद हुए बहुत सारे जवानों के अंग काटे गए।' माना जा रहा है कि नक्सलियों की इस हैवानियत का मकसद सुरक्षाबलों के साथ-साथ स्थानीय आदिवासियों को संदेश देना था।
पुलिस के सूत्रों का कहना है कि नक्सली मारे गए जवानों के शरीर के साथ अमूमन ऐसी हरकत नहीं करते। इस तरह की हरकत से शायद वे स्थानीय आदिवासियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने सुरक्षाबलों द्वारा सुरक्षा अभियान के दौरान कथित तौर पर रेप और छेड़छाड़ के मामलों का बदला ले लिया है। एक अफसर का कहना है कि इस तरह की हरकत के जरिए माओवादी सुरक्षाबलों में डर फैलाना चाहते हैं। इससे वे गांववालों को ये भी संदेश देना चाहते हैं कि वे सुरक्षाबलों की मदद करने से बाज आएं।
पूर्व की मुठभेड़ों में भी नक्सलियों का अमानवीय चेहरा सामने आता रहा है। वर्ष 2007 में बीजापुर जिले के रानीबोदली में सीएएफ कैम्प पर नक्सली हमले में 55 जवान व एसपीओ शहीद हुए थे। तब नक्सलियों ने धारदार हथियार से कुछ जवानों के सिर धड़ से अलग कर दिए थे। झीरम-2 के नाम से चर्चित टाहकवाड़ा मुठभेड़ में शहीद जवानों के शवों को टंगिए व धारदार हथियारों से गोदा गया था। एक बार शहीद जवान के शव में बम ट्रांसप्लांट करने की घटना को भी अंजाम दिया गया था।
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