Tuesday, March 19, 2024
Advertisement

BLOG: इतने बड़े फैसले पर क्या ऐप से आने वाली राय को हम देश का फैसला मान लें?

प्रधानमंत्री ने शुरू से ये कोशिश की है कि वो जनता से सीधे संवाद स्थापित करें, चाहे वो एप्स के ज़रिए हो या वेबसाइट्स के ज़रिए। पीएम की इस पहल को शुरू से सराहनीय मानती

Sucharita Kukreti Sucharita Kukreti
Updated on: November 24, 2016 16:13 IST
blog namo app- India TV Hindi
blog namo app

प्रधानमंत्री ने शुरू से ये कोशिश की है कि वो जनता से सीधे संवाद स्थापित करें, चाहे वो एप्स के ज़रिए हो या वेबसाइट्स के ज़रिए। पीएम की इस पहल को शुरू  से सराहनीय मानती हूँ। ऐसे मे ये स्वाभाविक ही था कि अपने कार्यकाल का सबसे बड़ा फ़ैसला माने जाने वाले इस नोटबंदी के ऐलान पर वे लोगों की राय लें।

नमो ऐप पर लोगों से उनकी राय मांगी गई। अब सवाल ये कि हर भारतीय पर प्रभाव डालने वाले इतने बड़े फ़ैसले पर क्या ऐप से आने वाली राय को हम देश का फैसला मान लें? मैं कई ऐसे लोगों को जानती हूँ जिनके पास स्मार्टफोन तो हैं, मगर उन्हें ऐप डाउनलोड करना नही आता। ऐप के सर्वे में भाग लेना तो दूर की बात है।

ये तो मैं दिल्ली-एनसीआर की बातें कर रही हूं। उन दूरदराज के इलाकों का क्या, जहां लोगों के पास स्मार्टफोन हैं ही नही। फ़ोन हैं तो इन्टरनेट नही। आंकड़े बताते हैं कि 5 लाख लोगों ने नमो ऐप के सर्वे में भाग लिया। जिसमे 93 फीसदी लोगों ने नोटबन्दी की मुहिम को पास कर दिया। 125 करोड़ लोगों में 5 लाख का सर्वे चुटकी भर नमक जैसा ही है। नमक से स्वाद का अंदाजा तो हो जाएगा। मगर पकवान पास या फ़ेल तभी होगा जब बाकी सारी सामग्री भी उपयुक्त हो।

Also read:

हमारे देश में अभी भी तक़रीबन 29 करोड़ लोग अनपढ़ हैं। वो न ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, न इन्टरनेट का। उनकी राय भी उतनी ही कीमती है। हो सकता है कि ये सब भी जब अपनी राय दें, तो भी पीएम की नोटबन्दी योजना, ऐसे ही अपार समर्थन से पास हो। क्योंकि जितना सुन रही और देख रही हूं, लोगों को इससे परेशानी है, पर लोग फैसले के समर्थन में हैं। लेकिन जब तक ये सर्वे कुछ लाख लोगों का है, इसे देश की राय मानने की गलती पीएम को नहीं करनी चाहिए।

मोदी का डिजिटल प्रेम उनके हर फैसले में नज़र आता है। भारत एक कैशलेस सोसाइटी बने जहां ज़्यादातर ट्रांजैक्शन ऑनलाइन हो। लोग कैश लेकर चलना बंद कर दें। जेब में एक कार्ड ही काफी हो। नोटबन्दी का ये फैसला एक ऐसी अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढाता है इसलिए सराहनीय है लेकिन ये कदम बढ़ाने के लिए गांव का रामलाल भी उतना ही तैयार है जितना शहर का रमन?? कहीं एकाएक आए इस फैसले से रामलाल की दिक्कतें और बढ़ तो नही गईं?? पर इन दिक्कतों के बाद भी अगर रामलाल नोटबन्दी के समर्थन में हैं तो ये वाकई बड़ी जीत है।

हमारा देश गांवों में बसता है। इन गांव के लोगों की राय का आकलन होना बेहद ज़रूरी है। शायद चुनाव बाद वो आकलन अपने आप हो जाए। क्योंकि चुनाव सबसे बड़ा ऐप है और वोट सबसे बड़ा सर्वे। क्योंकि वोट रमन भी देगा और रामलाल भी।

(ब्‍लॉग लेखिका सुचरिता कुकरेती देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में न्‍यूज एंकर हैं)

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement