Tuesday, March 19, 2024
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साहिर लुधियानवी पर विशेष: मैं अभी मरा नहीं...

जिंदगी की किताब में आज साहिर लुधियानवी पर विशेष: साहिर जिंदगी की बिखरे हुए पन्नों पर प्यार के खूबसूरत शब्दों को जोड़कर जिंदगी को अपनी रचनाओं से वो मुकाम दे गए जिसकी चाहत हर शायर

Rajesh Yadav Rajesh Yadav
Updated on: October 25, 2016 23:43 IST
sahir ludhianvi- India TV Hindi
sahir ludhianvi

जिंदगी की किताब में आज साहिर लुधियानवी पर विशेष:

साहिर जिंदगी की बिखरे हुए पन्नों पर प्यार के खूबसूरत शब्दों को जोड़कर जिंदगी को अपनी रचनाओं से वो मुकाम दे गए जिसकी चाहत हर शायर और गीतकार को होती है। दरअसल साहिर की जिंदगी में प्यार और विछोह का दर्द खूब रहा है, लेकिन साहिर ने दर्द को शब्दों का ऐसा सहारा दिया कि उनके अंदर का छिपा शायर और गीतकार पूरी धमक के साथ दुनियां पर छा गया।

8 मार्च 1921 को लुधियाना में जन्में साहिर लुधियानवी ने बचपन में अपने माता-पिता के अलगाव का दर्द झेला, युवाअवस्था में अमृता-प्रीतम से प्यार हुआ लेकिन प्यार के इस खूबसूरत मोड़ पर उनकी गरीबी और उनका मुस्लिम होना बाधक बन गया। प्यार के पंछी एक हो पाते इससे पहले ही अमृता के पिता के कहने पर साहिर को लुधियाना के गर्वमेंट कॉलेज से निकाल दिया गया। साहिर ने लुधियाना की उस मिट्टी को जहां उनका जन्म हुआ था को अलविदा कह लाहौर आ गए। प्यार के इस विछोह का दर्द उनके गीतों में खूब दिखता है।

साहिर पूरी जिंदगी कुवांरे रहे, अमृता प्रीतम के अलावा सुधा मल्होत्रा से दिल के तार जुड़े लेकिन विवाह का बंधन नहीं जुड़ सका। अकेलेपन में दर्द के साथ जिंदगी का कुछ ऐसा रिश्ता जुड़ा कि उन्होंने शराब को अपने गमों का साथी बना लिया और 25 अक्टूबर 1980 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। एक ऐसे शायर की मौत जिसके लिखे गीतों को जमाना बड़े प्यार से गुनगुना रहा था और जिसके गीतों की महक संगीत की दुनियां में आज भी ध्रुव तारें के समान जगमगा रहीं है।

लाहौर में कुछ पत्रिकाओं का संपादन करने के बाद साहिर को ऐसा लगा कि बॉम्बे (मुंबई) उनकों बुला रहा है और उसके बाद उनके कदम बॉलीवुड की सरजमीं पर पड़े और ठंडी हवाएं लहरा के आयें नामक उनका लिखा पहला गीत खूब लोकप्रिय हुआ। उसके बाद तो साहिर की कलम से ऐसे-ऐसे गीत निकले जिनकों सुनने के बाद दर्शक मुग्ध हो गए।

गुरुदत्त की फिल्म प्यासा के लिए ये दुनियां अगर मिल भी जाए तो क्या है॥?, जिन्हें नाज है हिन्द पर वो कहां है के माध्यम से वो ऐसी बात कह गए जो लोगों के दिलों को छू गई। साहिर के बारें में कहा जाता था कि वो नास्तिक थे लेकिन यह भी उतना ही सच है प्यार ही उनके लिए खुदा था और इंसानियत उनका धर्म था और इस बात को उन्होंने हम दोनों फिल्म के गीत अल्लाह तेरों नाम, ईश्वर तेरो नाम॥ में लिखा भी है। साहिर अपनी जन्म भूमि लुधियाना से भी बहुत प्यार करते थे तभी तो उन्होंने गीतकार के रुप में अपने असली नाम अब्दुल हयी साहिर के स्थान पर साहिर लुधियानवी कर लिया था। साहिर की जिंदगी की किताब को देख कर तो साहिर की रचना याद आती है जिसमें साहिर कहतें है...

ज़िन्दगी से उन्स है, हुस्न से लगाव है

धड़कनों में आज भी इश्क़ का अलाव है

दिल अभी बुझा नहीं, रंग भर रहा हूँ मैं

ख़ाक--हयात में, आज भी हूँ मुनहमिक

फ़िक्र--कायनात में ग़म अभी लुटा नहीं

हर्फ़--हक़ अज़ीज़ है, ज़ुल्म नागवार है

अहद--नौ से आज भी अहद उसतवार है

मैं अभी मरा नहीं

देखिए वीडियो-

(ब्लॉग लेखक राजेश यादव www.khabarindiatv.com के एडिटर हैं)

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