Thursday, April 25, 2024
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रेल हादसे की मुआवजा राशि में 19 साल बाद भी कोई बदलाव नहीं

रेल दुर्घटना में मारे जाने वाले यात्रियों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। यह मुआवजा राशि वर्ष 1997 में तय हुई थी। 19 वर्ष बाद भी मुआवजा राशि में बदलाव नहीं किया गया है।

IANS IANS
Published on: November 21, 2016 21:28 IST
Rail accident- India TV Hindi
Image Source : PTI Rail accident

भोपाल। भारत में रेल दुर्घटना में मारे जाने वाले यात्रियों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। आपको यह जानकर हैरत होगी कि यह मुआवजा राशि वर्ष 1997 में तय हुई थी। इस तरह 19 वर्ष बाद भी मुआवजा राशि में बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि पूर्व में नौ से 10 साल के अंतराल पर मुआवजा राशि को दोगुना किया जाता रहा है।

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देश के आजाद होने के बाद पहली बार 1962 में रेल हादसे में मारे जाने वालों के लिए 10 हजार रुपये मुआवजा तय किया गया था। उसके बाद 1963 में इसे बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दिया गया। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी और सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को रेल मंत्रालय ने मुआवजे के संदर्भ में जो जानकारी दी है, उससे पता चलता है कि 1973 में मुआवजा 50 हजार, 1983 में एक लाख, 1990 में दो लाख और 1997 में बढ़ाकर चार लाख रुपये किया गया। 

गौड़ ने रविवार को इंदौर से पटना जा रही राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के कानपुर जिले के पुखरायां के पास हुए हादसे में 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने पर केंद्र सरकार द्वारा मुआवजे का ऐलान किए जाने के बाद सूचना के अधिकार के तहत विभिन्न आवेदनों से बीते नौ माह में मिली जानकारियों के आधार पर यह खुलासा किया।

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गौड़ ने रेल हादसों में मारे जाने वालों को दिए जाने वाले मुआवजे की सूचना के अधिकार के तहत फरवरी, 2016 में जानकारी मांगी थी। इस पर अनुविभागीय अधिकारी ब्रजेश कुमार ने बताया था कि 1997 के बाद मुआवजा राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है। राशि में संशोधन के लिए मंत्री के समक्ष प्रस्ताव विचाराधीन है। 

गौड़ ने तीन नवंबर, 2016 को रेल मंत्रालय में सूचनाधिकार के तहत आवेदन किया, जिस पर उन्हें 11 नवंबर को संयुक्त निदेशक (यातायात) देवाशीष सिकदर की ओर से जवाब भेजा गया। गौड़ ने बताया कि पहले रेल मुआवजा राशि को नौ से 10 वर्षो में दोगुना किया जाता रहा है, अगर 1997 के बाद भी यही होता तो राशि 2006 में चार से आठ और 2015 में बढ़कर आठ लाख रुपये हो गई होती, मगर ऐसा नहीं हुआ।

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