Wednesday, April 24, 2024
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BLOG: मेरा बिजनौर... 'हे भगवान सबके बच्चे सलामत रहें’

पूनम कौशल 'हे भगवान सबके बच्चे सलामत रहें, किसो को कुछ न हो’ मम्मी जब ये बोल रहीं थी तो उनकी आंखें नम थीं। बिजनौर से क़रीब चार किलोमीटर दूर पेद्दा गांव में जो हुआ

IndiaTV Hindi Desk IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 19, 2016 23:07 IST
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Image Source : INDIA TV bijnor

पूनम कौशल

'हे भगवान सबके बच्चे सलामत रहें, किसो को कुछ न हो’ मम्मी जब ये बोल रहीं थी तो उनकी आंखें नम थीं। बिजनौर से क़रीब चार किलोमीटर दूर पेद्दा गांव में जो हुआ उसका दर्द मैंने अपनी मां की आंखों में देखा। जो नमी और अहसास मम्मी की आंखों में था वही बिजनौर का असली अहसास है....इसके अलावा अगर आप बिजनौर के बारे में कुछ पढ़ सुन रहे हैं तो वो अफ़वाह है, झूठ है....बीते तीन दिनों से कई बाहरी दोस्तों ने पूछा बिजनौर में तनाव है क्या? तो मैंने कहा नहीं सब ठीक है....

पेद्दा में इतना बड़ा हादसा हो गया। तीन लोगों की जान चली गई। भावनाएं भड़काने की लाख कोशिशों और तरह-तरह की अफ़वाहों के बावजूद बिजनौर में कुछ नहीं हुआ। बल्कि मैंने आपसी सौहार्द को और मज़बूत महसूस किया। यही बिजनौर है....पेद्दा में जो हुआ, वो बहुत ग़लत है। सिर्फ़ पेद्दा में ही नहीं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में ऐसा नहीं होना चाहिए....

घटना की पृष्ठभूमि में छेड़छाड़ का मामला है। कुछ बिगडैल युवकों ने लड़की को छेड़ा और बात इतनी बिगड़ गई.....इस घटना से सबक लेते हुए हमें ठहरकर ये सोचना चाहिए कि हमारी युवा पीढ़ी ऐसी क्यों हैं। लड़कों की परवरिश में कहीं कुछ तो ग़लत है...

मैं देख रही हूँ कि दिल्ली और दुनिया के अलग-अलग कोनों में बैठे लोग बिजनौर के बारे में न जाने क्या-क्या लिख रहे हैं। सांप्रदायिक तनाव की बात की जा रही है। बिजनौर में ऐसा कुछ नहीं है। हमारे यहां शहर के मुसलमान मिलने वालों के फ़ोन आ रहे हैं जो कह रहे हैं कि भाई साब शहर में सब ठीक है।

और हम लोग भी अपने मुसलमान मिलने वालों को भरोसा दे रहे हैं कि शहर में सब ठीक है। जिस देश में ज़रा सी बातें सांप्रदायिक दंगा-फ़साद का रूप ले रहीं हैं। माहौल बिगाड़ने की राजनीतिक कोशिशें तक हो रही हैं वहां इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद सबकुछ सामान्य रहना, शांति बरक़रार रहना और बाज़ार खुले रहना बताता है कि बिजनौर में सौहार्द का धागा कितना मज़बूत है। मेरे शहर की बात ही कुछ और है, इसलिए ही तो ये बिजनौर है।

जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो पता ही नहीं चला कि Aisha Fatima, Gazal Wamiq, Farha Naaz, Imran Ahmed, Shadab Nazar, Saquib Faraz जैसे मेरे दोस्त मुसलमान हैं या मैं और मेरे जैसे नामों वाले दोस्त हिंदू....हमारे नाम हमारी धार्मिक पहचान से कहीं दूर थे....मुझे याद नहीं आता कि स्कूल के टाइम में कभी भी धार्मिक पहचान को लेकर कोई बात हुई है।

पेद्दा में गोलीबारी में तीन लोग मारे गए। ये सच है। और सच ये भी है कि इतनी बड़ी घटना के बाद बिजनौर में शांति बरक़रार रही। सबकुछ सामान्य रहा। ये हादसा है, गुज़र गया, गुज़र जाएगा। याद यही रहेगा कि बिजनौर ने ख़ुद को कैसे संभाला। हादसे के बाद बिजनौर ने क्या किया। बिजनौर शांत रहा, ये बिजनौर की पहचान है, और उन लोगों की हार भी जो माहौल में सांप्रदायिकता घोलने का प्रयास कर रहे थे।

और हाँ रहा सवाल उनका जिन्होंने उस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया, तो जान लीजिए, भारत में अभी क़ानून है, जो हिंदू-मुसलमान में फ़र्क नहीं करता। छह लोग गिरफ़्तार हैं, बाक़ी भी हो जाएंगे.....

(ब्लॉग लेखिका पूनम कौशल युवा पत्रकार है और बिजनौर की रहने वाली है)

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