Thursday, April 25, 2024
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जानें, पीएम मोदी ने 'मन की बात' में किस छात्रा से प्रेरणा लेने को कहा

मन की बात में पीएम मोदी ने 11 वीं की छात्रा गायत्री से प्रेरणा लेने की बात कही। पीएम ने कहा कि मुझे देहरादून से गायत्री नाम की एक बिटिया ने मैसेज भेजा।

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: March 26, 2017 15:29 IST
narendra modi- India TV Hindi
Image Source : PTI narendra modi

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि चंपारण सत्याग्रह हमें बताता है कि महात्मा गांधी कितने अनोखे थे और उनका व्यक्तित्व कितना अद्भुत था। मोदी 30वें मन की बात कार्यक्रम के ज़रिए देश की जनता को संबोधित कर रहे थे।

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मन की बात में पीएम मोदी ने 11 वीं की छात्रा गायत्री से प्रेरणा लेने की बात कही। पीएम ने कहा कि मुझे देहरादून से गायत्री नाम की एक बिटिया ने मैसेज भेजा। जिसमें इस बिटिया ने कहा कि “आदरणीय प्रधानाचार्य, प्रधानमंत्री जी, आपको मेरा सादर प्रणाम। सबसे पहले तो आपको बहुत बधाइयां कि आप इस चुनाव में आपने भारी मतों से विजय हासिल की है।

मैं आपसे अपने मन की बात करना चाहती हूं। मैं कहना चाहती हूं कि लोगों को यह समझाना होगा कि स्वच्छता कितनी ज़रूरी है। मैं रोज़ उस नदी से हो कर जाती हूं, जिसमें लोग बहुत सा कूड़ा-करकट भी डालते हैं और नदियों को दूषित करते हैं। वह नदी रिस्पना पुल से होते हुए आती है और मेरे घर तक भी आती है।

इस नदी के लिए हमने बस्तियों में जा करके हमने रैली भी निकाली और लोगों से बातचीत भी की, परन्तु उसका कुछ फ़ायदा न हुआ। मैं आपसे ये कहना चाहती हूं कि अपनी एक टीम भेजकर या फिर न्यूज़पेपर के माध्यम से इस बात को उजागर किया जाए, धन्यवाद।”

इस बारें में पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कि, ''11वीं कक्षा की एक बेटी की कितनी पीड़ा है। उस नदी में कूड़ा-कचरा देख कर के उसको कितना गुस्सा आ रहा है। मैं इसे अच्छी निशानी मानता हूँ। मैं यही तो चाहता हूँ, सवा-सौ करोड़ देशवासियों के मन में गन्दगी के प्रति गुस्सा पैदा हो। एक बार गुस्सा पैदा होगा, नाराज़गी पैदा होगी, उसके प्रति रोष पैदा होगा, हम ही गन्दगी के खिलाफ़ कुछ-न-कुछ करने लग जाएंगे और अच्छी बात है कि गायत्री स्वयं अपना गुस्सा भी प्रकट कर रही है, मुझे सुझाव भी दे रही है, लेकिन साथ-साथ ख़ुद ये भी कह रही है कि उसने काफ़ी प्रयास किए; लेकिन विफलता मिली।

जब से स्वच्छता के आन्दोलन की शुरुआत हुई है, जागरूकता आई है। हर कोई उसमें सकारात्मक रूप से जुड़ता चला गया है। उसने एक आंदोलन का रूप भी लिया है। गन्दगी के प्रति नफ़रत भी बढ़ती चली जा रही है। जागरूकता हो, सक्रिय भागीदारी हो, आंदोलन हो, इसका अपना महत्व है ही है। लेकिन स्वच्छता आंदोलन से ज़्यादा आदत से जुड़ी हुई होती है। ये आंदोलन आदत बदलने का आंदोलन है।

ये आंदोलन स्वच्छता की आदत पैदा करने का आंदोलन है, आंदोलन सामूहिक रूप से हो सकता है। काम कठिन है, लेकिन करना है। मुझे विश्वास है कि देश की नयी पीढ़ी में, बालकों में, विद्यार्थियों में, युवकों में, ये जो भाव जगा है, ये अपने-आप में अच्छे परिणाम के संकेत देता हैI आज की मेरी ‘मन की बात’ में गायत्री की बात जो भी सुन रहे हैं, मैं सारे देशवासियों को कहूँगा कि गायत्री का संदेश हम सब के लिये संदेश बनना चाहिए।

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