नई दिल्ली: बिहार में नीतीश कुमार को भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट पहुंची राजद की याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। याचिका में भाजपा-जेडीयू के साथ मिलकर सरकार गठन को चुनौती दी गई है। हालांकि कोर्ट ने विश्वासमत पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
मुख्य न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन की खंडपीठ ने सरोज दुबे व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई की और सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की। इन याचिकाओं में यह कहा गया है कि सरकार का गठन वैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर किया गया है। सबसे बड़ी पार्टी (राजद) को राज्यपाल ने सरकार गठन करने का मौका नहीं दिया। साथ ही सरकार गठन में भी काफी जल्दबाजी की गयी इस कारण सरकार गठन में काफी त्रुटियां रह गयी।
इस बीच बिहार में एनडीए की नई सरकार को शुक्रवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है। इसके लिए वह विधानसभा पहुंच चुके हैं। वहीं विधानसभा के बाहर RJD और कांग्रेस का प्रदर्शन जारी है। वे नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। विधानसभा के अंदर भी जबरदस्त हंगामा हो रहा है।
जेडीयू के केसी त्यागी का कहना है कि हम विश्वासमत हासिल करके सबको चकित कर देंगे। इससे पहले बुधवार देर रात को नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं के साथ राज्यपाल को 132 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा था, जिसमें जेडीयू के 71, बीजेपी के 53, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के 2, एलजेपी के 2, जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' के 1 और 3 निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
गौरतलब है कि 26 जुलाई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा और उसी तारीख को देर रात बीजेपी के साथ सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के समक्ष पेश किया। देर रात लगभग दो बजे के करीब राजद नेता तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने भी राज्यपाल से मुलाकात की थी और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश किया। ज्ञात हो कि राजद के 81 विधायक हैं।
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इस राजा की थी 365 रानियां, उनके खास महल में केवल निर्वस्त्र हीं कर सकते थे एंट्री