Tuesday, March 19, 2024
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नोटबंदी: संकट में छोटे कारोबार, फिर भी कई मोदी समर्थक

मुंबई: प्राइसवाटरहाउसकूपर्स और इंडिया रिटेल फोरम की 2015 में आई रपट के अनुसार, देशभर में 1.2 करोड़ से 1.4 करोड़ तक छोटी-मोटी किराने की दुकाने हैं, लेकिन नोटबंदी के बाद से इनमें से अधिकांश मंदी

IANS IANS
Published on: January 17, 2017 8:24 IST
Modi-Note Ban- India TV Hindi
Modi-Note Ban

मुंबई: प्राइसवाटरहाउसकूपर्स और इंडिया रिटेल फोरम की 2015 में आई रपट के अनुसार, देशभर में 1.2 करोड़ से 1.4 करोड़ तक छोटी-मोटी किराने की दुकाने हैं, लेकिन नोटबंदी के बाद से इनमें से अधिकांश मंदी की मार झेल रही हैं और बंदी के कगार पर पहुंच गई हैं। इन छोटी-मोटी दुकानों पर देश की बड़ी आबादी निर्भर है, जिसकी संख्या फ्रांस या थाईलैंड की आबादी के लगभग बराबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद अपने भाषण में देशवासियों से 50 दिनों का समय मांगा था।

नोटबंदी के बाद 54वें और 55वें दिन इंडियास्पेंड ने छोटे कारोबार पर नोटबंदी के प्रभाव को समझने के उद्देश्य से मुंबई के उपनगरीय और ग्रामीण इलाकों में 24 ऐसे किराना दुकानों का दौरा किया। पालघर, ठाणे और मुंबई महानगर क्षेत्र में आने वाले जिलों में हमने इस सर्वेक्षण में जो पाया वह इस प्रकार है -

- करीब 80 फीसदी दुकानदारों ने नोटबंदी के कारण 50-60 प्रतिशत या उससे भी अधिक नुकसान की बात कही।

- नगरीय इलाकों में स्थित 38 फीसदी दुकानदारों ने डिजिटल भुगतान या मोबाइल वॉलेट सेवा अपना ली हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों के दुकानदार अभी भी नकदी में ही भुगतान ले रहे हैं।

- हम जितनी दुकानों पर गए, उनमें से आधा दुकानदारों ने नोटबंदी का समर्थन किया और 58 फीसदी दुकानदारों ने मोदी के प्रति समर्थन जाहिर किया।

उल्लेखनीय है कि खुदरा कारोबार देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है और रोजगार मुहैया कराने का अहम जरिया।

डेमोग्राफिया वर्ल्ड अर्बन एरियाज की 2016 की एक रपट के अनुसार, मुंबई की आबादी 1.83 करोड़ है, जो इसे दुनिया का छठा सबसे बड़ा नगर बनाता है। भारत की सवा अरब की आबादी में मुंबई में सिर्फ 1.5 फीसदी आबादी ही रहती है, लेकिन देश के कुल खुदरा उपभोग का 29 फीसदी खर्च करती है।

खुदरा उपभोग के मामले में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र 25 फीसदी और बेंगलुरू 15 फीसदी खर्च करता है।

भारत का खुदरा बाजार 600 अरब डॉलर का है और 5.8 फीसदी की वार्षिक दर से वृद्धि कर रहा है। दुनिया के प्रमुख विकासशील देशों के खुदरा बाजार में यह सबसे तेज वृद्धि दर है। ए. टी. किर्नी की 2015 में आई रपट के अनुसार, वैश्विक खुदरा विकास सूची में भारत 15वें स्थान पर था।

योजना आयोग की 2013 की रपट के अनुसार, खुदरा बाजार देश की आठ फीसदी आबादी या 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है और कृषि तथा विनिर्माण क्षेत्र के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है।

मुंबई के घोड़बंदर और ठाणे जिले के मीरा-भायंदर इलाकों में किए गए इस सर्वेक्षण में 60 फीसदी दुकानदारों के जवाब से यही निष्कर्ष निकलता है कि 'व्यवसाय अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है'।

हालांकि पालघर जिले में विरार से वसई के बीच के 75 फीसदी दुकानदारों ने कहा कि कारोबार में खास सुधार नहीं आया है।

दुकानदारों के सामने सबसे बड़ी समस्या ग्राहकों के 2,000 रुपये के नोट का छुट्टा देना है। इससे बचने के लिए दुकानदार अपने नियमित ग्राहकों को अधिक से अधिक उधारी दे रहे हैं, लेकिन इससे उनकी परेशानी खत्म नहीं हो रही।

जहां तक नकदी रहित लेन-देन की बात है तो शहरी इलाकों के दुकानदार जहां इसे अपनाने को लेकर हिचकिचाहट में हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों के दुकानदारों को इसकी ज्यादा जानकारी ही नहीं है।

नकदी-रहित लेन-देन अपनाने के सरकार के आह्वान पर आठ फीसदी दुकानदारों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने नियमित ग्राहकों से चेक के जरिए भुगतान स्वीकार किए। 17 फीसदी दुकानदारों ने कहा कि वे पीओएस मशीन का इस्तेमाल करने लगे हैं, जबकि 21 फीसदी दुकानदारों ने कहा कि वे इसके लिए बैंक में आवेदन करेंगे।

मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करने वाले 20 फीसदी दुकानदारों ने कहा कि ग्राहक मोबाइल वॉलेट के जरिए भुगतान से कतराते हैं। 60 फीसदी दुकानदारों का मानना है कि उनका कारोबार इतना छोटा है कि मोबाइल वॉलेट या पीओएस मशीन लगवाने का कोई मतलब नहीं है।

पारंपरिक तौर पर छोटे कारोबारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्य मतदाता हैं और नोटबंदी के बाद से उनका कारोबार संकट के दौर से गुजर रहा है। इसके बावजूद वे नोटबंदी के फैसले को सही मानते हैं और उन्हें विश्वास है कि भ्रष्टाचार करने वाले अमीर लोगों को दंडित करने के लिए उठाए गए इस कठिन कदम के लिए उन्हें थोड़ी कीमत तो चुकानी ही होगी।

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