Friday, April 26, 2024
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कश्मीरी गाथा में नया मोड़, स्कूली बैग व पत्थरों के साथ विद्यार्थी

स्कूली बच्ची की एक तस्वीर, बाहों में बास्केटबाल दबाए हुए और सुरक्षा बलों के वाहन पर लात मारती हुई। यह तस्वीर आज कश्मीर में जारी विद्यार्थी आंदोलन का प्रतीक बन गई है। यह सब कुछ शुरू हुआ बीती 15 अप्रैल को जब सुरक्षा बलों ने पुलवामा के डिग्री कॉलेज में

IANS IANS
Updated on: May 12, 2017 19:17 IST
kashmir students- India TV Hindi
kashmir students

श्रीनगर: स्कूली बच्ची की एक तस्वीर, बाहों में बास्केटबाल दबाए हुए और सुरक्षा बलों के वाहन पर लात मारती हुई। यह तस्वीर आज कश्मीर में जारी विद्यार्थी आंदोलन का प्रतीक बन गई है। यह सब कुछ शुरू हुआ बीती 15 अप्रैल को जब सुरक्षा बलों ने पुलवामा के डिग्री कॉलेज में घुसकर विद्यार्थियों के साथ बदसलूकी की।

1990 की शुरुआत में, जब राज्य में अलगाववादी हिंसा शुरू हुई, तभी शिक्षा संस्थानों और सुरक्षा बलों के बीच की दीवार ढह गई थी। पिछले 27 सालों में कितनी ही बार आतंकियों की तलाश में शिक्षा संस्थानों में छापे मारे जा चुके हैं। लेकिन, मौजूदा अशांति की जड़ में वह तस्वीरें हैं जिनमें 15 अप्रैल को कॉलेज में सुरक्षा बलों द्वारा विद्यार्थियों को पीटे जाते देखा जा सकता है। यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं और राज्य में अशांति की ताजा वजह बन गईं।

छात्र आंदोलन के समर्थकों का कहना है कि यह तस्वीरें सुरक्षा बलों द्वारा पोस्ट की गईं। उन्होंने 9 अप्रैल को श्रीनगर-बडगाम संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान युवाओं द्वारा कुछ सैनिकों से बदसलूकी की घटना का बदला लेने के लिए ऐसा किया। एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "अगर यह युवाओं और सुरक्षा बलों के बीच आंख के बदले आंख वाली स्थिति बन गई तो फिर जल्द ही हम सभी अंधे हो जाएंगे।"

राज्य सरकार ने 15 अप्रैल की घटना को सही तरीके से नहीं संभालने पर पुलवामा के वरिष्ठ पुलिस अफसरों का तबादला कर दिया। शिक्षा मंत्री अल्ताफ बुखारी ने छात्रों से कक्षाओं में जाने और अपने करियर पर ध्यान देने का आग्रह किया।

उन्होंने यहां मीडिया से कहा, "विद्यार्थियों की सभी शिकायतों का समाधान होगा। उन्हें शिक्षण संस्थानों के अंदर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है। लेकिन, उन्हें सड़क पर नहीं आना चाहिए। जब वे सड़क पर आ जाते हैं, पत्थर फेंकते हैं और यातायात रोकते हैं तो फिर यह एक कानून व्यवस्था की समस्या बन जाती है और फिर सुरक्षा बलों को दखल देना पड़ता है।" उन्होंने हालात को सुधारने के लिए शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से बैठकें शुरू की हैं।

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, "हम अतीत में बुरे दिन देख चुके हैं। हालात जल्द ही सामान्य हो जाएंगे। मैं मीडिया, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से स्थानीय युवाओं को खराब रूप में पेश नहीं करने की अपील करती हूं।" घाटी के पुलिस प्रमुख एस.जे.एम.गिलानी ने मीडिया से कहा कि शिक्षा संस्थानों में समस्याएं पैदा करने के लिए 'बाहरी तत्व' जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि एक स्थानीय कॉलेज में और बीते हफ्ते उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में एक स्कूल में गड़बड़ी फैलाने के लिए धन का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने कहा कि छात्रों के आंदोलन से सही तरीके से निपटा गया है। उन्होंने कहा कि बीते एक साल में 95 युवा आतंकियों के साथ गए और इस वक्त घाटी में दो सौ आतंकी सक्रिय हैं। जिस पैमाने पर छात्रों के प्रदर्शन हो रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि पुलिस और अर्धसैनिक बल हालात पर काबू पाने में पूरा संयम बरतते हुए कार्रवाई कर रहे हैं। विद्यार्थियों के खिलाफ कम बल प्रयोग किया जा रहा है।

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