Friday, April 26, 2024
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'शाप' मुक्त हुआ यह राजवंश, 400 साल बाद राजा के घर जन्मा बेटा

इस राज परिवार में कई दशकों से किसी पुत्र का जन्‍म नहीं हुआ था। लेकिन शाही परिवार के उत्तराधिकारी युदवीर श्रीकंठ दत्ता चामराजा वाडियार के पिता बनने के साथ ही परिवार में खुशी है। यदुवीर बोस्टन से पढ़े हैं और अभी केवल 26 साल के हैं। यदुवीर को पूर्व शाही

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: December 08, 2017 9:42 IST
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नई दिल्ली: कर्नाटक के मैसूर के राजघराने में 400 साल बाद किसी बच्चे की किलकारी गूंजी है। कई दशकों बाद वाडियार राज परिवार में एक लड़के का जन्म हुआ है। बुधवार रात करीब 9।30 बजे त्रिशिका ने निजी अस्पताल में पुत्र को जन्म दिया। चिकित्सकों के मुताबिक जच्चा-बच्चा की सेहत अच्छी है। वहीं इस खुशखबरी से राज परिवार में फिर से रौनक देखने को मिली है। राजा घोषित किये जाने के बाद यदुवीर कृष्णदत्ता वॉडेयार व त्रिशिखा से पिछले साल जून में विवाह हुआ था। यदुवीर को मैसूर के दिवंगत राजा श्रीकांतदत्त वाडियार एवं उनकी पत्नी प्रमोददेवी वाडियार ने कुछ साल पूर्व गोद लिया था। राजा श्रीकांतदत्त यदुवीर के चचेरे दादा थे।

इस राज परिवार में कई दशकों से किसी पुत्र का जन्‍म नहीं हुआ था। लेकिन शाही परिवार के उत्तराधिकारी युदवीर श्रीकंठ दत्ता चामराजा वाडियार के पिता बनने के साथ ही परिवार में खुशी है। यदुवीर बोस्टन से पढ़े हैं और अभी केवल 26 साल के हैं। यदुवीर को पूर्व शाही परिवार के चामराजा वाडियार के निधन के बाद उनकी पत्नी प्रमोदा देवी ने गोद लिया था। इससे पहले महल में श्रीकंठ दता के 1953 में जन्म के वक्त किलकारी गूंजी थी। श्रीकंठ दत्ता की दूसरी पत्नी के संतान थे।

मैसूर राजघराने में अबतक संतान नहीं पैदा होने के पीछे एक किवदंती है। मान्यता है कि 1612 में दक्षिण में सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद वाडियार राजा के आदेश पर यहां की धनसंपत्ति लूट ली गई। हार के बाद विजयनगर की तात्कालीन रानी अलमेलम्मा एकांतवास में थीं, लेकिन उनके पास काफी हीरे-जवाहरात और गहने थे।

वाडियार ने महारानी के पास दूत भेजकर उन्हें गहने सौंप देने के लिए कहा क्योंकि वे गहने और हीरे-जवाहरात अब वाडियार की शाही संपत्ति का हिस्सा बन चुके थे। लेकिन महारानी ने गहने देने से इनकार कर दिया जिसके बाद वाडियार की सेना खजाने पर जबरदस्ती कब्जा करने की कोशिश करने लगी।

ऐसा बताया जाता है कि इससे आहत रानी अलमेलम्मा ने वाडियार राजा को शाप दिया कि जिस तरह उनका घर उजाड़ा गया है उसी तरह उनका देश वीरान हो जाएगा। उन्होंने शाप दिया कि इस वंश के राजा की गोद हमेशा सूनी रहेगी। इसके बाद महारानी ने कावेरी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। तब से अब तक इस राजघराने में किसी राजा के दत्तक पुत्र को ही राजगद्दी मिलती रही है। यह इतने सालों में पहली बार है कि राजगद्दी के उत्तराधिकारी के घर बेटा पैदा हुआ है।

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