नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पंजाब विश्वविद्यालय में एक प्रतिष्ठित दायित्व संभाल सकते हैं जहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ायी पूरी की थी। विश्वविद्यालय ने उन्हें यह दायित्व संभालने की पेशकश की थी और इस बारे में लाभ के पद संबंधी संयुक्त समिति द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि संसद सदस्य रहते यह पद लाभ के पद के दायरे में नहीं आता।
विश्वविद्यालय की ओर से जवाहर लाल नेहरू चेयर प्रोफेसरशिप की पेशकश मिलने के बाद मनमोहन सिंह ने जुलाई में राज्यसभा के सभापति से सम्पर्क किया था और उनसे यह राय मांगी थी कि इस पेशकश को स्वीकार करने से क्या लाभ के पद संबंधी संविधान के अनुच्छेद 102 (A) के प्रावधानों के तहत आयोग्य तो घोषित नहीं किए जाएंगे? सिंह असम से राज्यसभा सदस्य हैं।
लाभ के पद संबंधी संयुक्त समिति द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री इस पेशकश को स्वीकार करते हैं तो यह किसी तरह से भी लाभ के पद के दायरे में नहीं आयेगा और संसद सदस्य के रूप में आयोग्यता नहीं होगी।
मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की थी और 1963 से 1965 के बीच वहां अर्थशास्त्र पढ़ाया भी था। चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति ने सिंह को सूचित किया है कि विश्वविद्यालय के सिंडिकेट और सेनेट ने जवाहरलाल नेहरू चेयर प्रोफेसरशिप के लिए सिंह के नाम को मंजूरी प्रदान कर दी है।
विश्वविद्यालय ने उनकी यात्रा के दौरान मानदेय और अन्य सुविधाओं की पेशकश की है। वह छात्रों एवं शिक्षकों के वास्ते अपने लेक्चर के संबंध में अपनी यात्रा के लिए उपयुक्त समय और अवधि तथा संवाद का माध्यम चुन सकते हैं।
विश्वविद्यालय ने संयुक्त समिति को सूचित किया कि इस पद पर नियुक्त व्यक्ति अल्पावधि के लिए चेयर पर बना रहेगा। चेयर की नियुक्ति एक समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है जिसमें प्रबुद्ध शिक्षाविद शामिल होते हैं और इसके लिए संचालक निकाय की मंजूरी ली जाती है।
चेयर के लिए नियुक्त व्यक्ति से उम्मीद की जाती है कि वह अल्पावधि के लिए विश्वविद्यालय आएगा। इस यात्रा के दौरान व्यक्ति हवाई किराया, ड्राइवर के साथ कार, होटल या गेस्ट हाउस में रुकने और 5000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय का हकदार होता है।