पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद ने नोटबंदी के खिलाफ जनता की हो रही परेशानियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई प्रश्नों के जवाब मांगे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा है कि क्या 35 दिनों में जनता की समस्याओं का निदान कर देंगे? नहीं तो बताएं कि कितने दिन और जनता को तड़पाएंगे? पटना में उन्होंने एक प्रेस बयान जारी पर पीएम से 12 सवाल पूछे।
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पहला सवाल
आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधान सेवक हैं (जैसा कि आप हर जगह ढिंढोरा पीटते हैं)। आपने एक प्रधान सेवक रहते हुए जनता के बारे में बिना सोचे कैसे इतना बड़ा कदम उठा लिया और कैसे ये तुगलकी फरमान जनता पर थोप दिया?
दूसरा सवाल
हमलोग भी काले धन के सख्त विरोधी हैं, परंतु इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते। जिनके पास सचमुच काला धन है, उनको दबोचने में प्रधानमंत्री क्यों हिचकिचा, सकुचा रहे हैं?"
तीसरा सवाल
उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के एक निर्णय पर करोड़ों लोगों का जीवन टिका हो, क्या उसे बिना कुछ देखे, आवेश में आकर, मुख्यपृष्ठों पर छाने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लेने का अधिकार है ?
चौथा सवाल
आज देश का किसान त्राहिमाम कर रहा है। उसकी दोनों फसलें बर्बाद होने के कगार पर है। किसानों ने आपका क्या बिगाड़ा था? किसानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है?"
पांचवां सवाल
देश के भूखे, निर्धन, वंचित को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा नैसर्गिक सुख प्राप्त हो रहा है?
छठा सवाल
प्रधानमंत्री बताएं कि नोटबंदी के बाद एफडीआई का कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चुका है? इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाला जो नकारात्मक संदेश पूरे विश्व में गया है, उससे उबर पाने में कितने प्रगतिशील सालों की बलि चढ़ेगी ?"
सातवां सवाल
रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का जिम्मेवार कौन है? इस कदम से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे? विकास दर में गिरावट की जिम्मेवारी प्रधानमंत्री लेगा या बलि का बकरा ढूंढा जाएगा?
आठवां सवाल
नोटबंदी के कारण अबतक 75 से अधिक लोग मर चुके हैं। इनकी हत्या का दोषी कौन है? प्रधानमंत्री बताएं कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा कि नहीं?
नौवां सवाल
प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्जाना कौन भरेगा?
दसवां सवाल
प्रधानमंत्री के नोटबंदी के निर्णय में क्या मंत्रिपरिषद की सहमति थी? अगर सचमुच थी, तो इस निर्णय में कौन कौन लोग भागीदार थे। जनता जानना चाहती है कि उसकी इस दुर्दशा के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं?"
ग्यारहवां सवाल
क्या 35 दिनों में जनता की समस्याओं का निदान कर देंगे? नहीं तो बताएं कि कितने दिन और जनता को तड़पाएंगे?
बारहवां सवाल
कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह नोटबन्दी का स्वांग रचा गया? मोहन भागवत चुप क्यों हैं? मोदी सीमा निर्धारित करके बताएं कि उनके वादानुसार लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये कब जमा होंगे?
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