नई दिल्ली: अंग्रेजों के जमाने का बनाया हुआ देशद्रोह कानून बाकायदा अब भी भारत में बरकरार है। ब्रिटिश अधिकारियों ने इस कानून का इस्तेमाल महात्मा गांधी जैसे तमाम उन देशप्रेमियों की गतिविधियों को कुचलने के लिए किया था जो भारत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे। भारत में देशद्रोह से जुड़ा ताजा मामला कन्नड़ फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री रम्या का है, जो पाकिस्तान की तारीफ कर मुसीबत में फंस गई हैं। अभिनेत्री और पूर्व सांसद राम्या ने पाकिस्तान के लोगों को ‘अच्छा और मेहमाननवाज’ बताया था जिसके खिलाफ उनपर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है। अपने देश में बीते दो से तीन सालों के भीतर देशद्रोह के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आज हम आपको अपनी खबर में बताएंगे कि आखिर ये देशद्रोह कानून है क्या और यह कैसे अस्तित्व में आया।
क्या है देशद्रोह कानून: सैडीशन यानी ‘देशद्रोह’ एक ऐसा उपनिवेशीय कानून है जिसे ब्रिटिश शासन ने बनाया था, लेकिन आजादी के बाद भारतीय संविधान में उसे अपना लिया गया। भारतीय कानून की संहिता के अनुच्छेद 124(ए) में देशद्रोह की परिभाषा बताई गई है। इस परिभाषा के तहत अगर कोई व्यक्ति सरकार विरोधी सामग्री लिखता है, सरकार विरोधी बातें बोलता है या फिर उनका समर्थन करता है तो यह गतिविधि देशद्रोह की श्रेणी में आता है।
देशद्रोह की श्रेणी में आता है:
- सरकार विरोधी सामग्री लिखना, बोलना या फिर उसका समर्थन करना।
- राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करना।
- संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करना।
कहां से आया देशद्रोह कानून: यह बेहद ही दिलचस्प बात है कि इस कानून को ब्रिटेन ने बनाया था, लेकिन उसने अपने संविधान से इसे जल्द ही हटा भी लिया था, लेकिन भारत में यह विवादित संविधान अब भी मौजूद है, जिस पर अक्सर बहसें और संशोधन की भी बात की जाती है। आपको बता दें कि ब्रिटिश काल के दौरान इसका इस्तेमाल अंग्रेजों ने महात्मा गांधी पर किया था। मूल तौर पर अंग्रेज इस कानून का इस्तेमाल भारतीयों की सरकार विरोधी गतिविधियों को कुचलने के लिए करते थे।
कब आया अस्तित्व में: अगर इतिहास पर नजर डालें तो सन 1859 तक इस तरह का कोई कानून नहीं था। साल 1869 में इसे बनाया गया और फिर 1970 में इसे आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) में शामिल कर दिया गया। वैसे तो सरकार के खिलाफ असंतोष जाहिर करना ही देशद्रोह माना जाता था लेकिन साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इसमें बदलाव किया गया और कहा गया कि सिर्फ सरकार का विरोध करना ही देशद्रोह नहीं माना जाएगा, देशद्रोह तब माना जाएगा जब सरकार के खिलाफ असंतोष जाहिर करते समय हिंसा भड़काने और कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश या अपील की जाए।
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