Thursday, April 25, 2024
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PM मोदी की लखनऊ रैली को दहलाना चाहते थे आतंकी: NIA

उज्जैन ट्रेन धमाके में कथित रूप से शामिल ISIS से प्रेरित एक आतंकी मॉड्यूल ने पिछले वर्ष दशहरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनउ में हुई रैली में विस्फोट करने की कोशिश की थी जो असफल रही।

Bhasha Bhasha
Published on: March 30, 2017 19:20 IST
PM Modi- India TV Hindi
Image Source : PTI PM Modi

नयी दिल्ली: उज्जैन ट्रेन धमाके में कथित रूप से शामिल ISIS से प्रेरित एक आतंकी मॉड्यूल ने पिछले वर्ष दशहरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनउ में हुई रैली में विस्फोट करने की कोशिश की थी जो असफल रही। 

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मोहम्मद दानिश और आतिफ मुजफ्फर से पूछताछ की सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिबंधित आतंकी संगठन ISIS से संबंध रखने वाले इन दोनों और इनके अन्य दोस्तों ने बीते वर्ष लखनऊ के रामलीला मैदान में बम लगाने की साजिश रची थी जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गत 17 अक्तूबर को एक रैली को संबोधित करने वाले थे। यह दोनों फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में हैं। 

दानिश ने अपने बयान में कहा है कि यह समूह चरमपंथ के प्रभाव के स्तर को जानने के लिए विस्फोट करने को बेसब्र हो रहा था और इस प्रक्रिया के दौरान समूह ने विभिन्न स्थानों पर बम लगाने के कई असफल प्रयास भी किए थे। 

उसने बताया कि आतंकी समूह के स्वयंभू आमिर (प्रमुख) आतिफ मुजफ्फर ने स्टील के पाइपों और बल्बों की मदद से एक बम भी तैयार किया जिसमें खुद उसने भी मदद दी।मध्य प्रदेश के उज्जैन में रेलवे पटरी पर सात मार्च को हुए विस्फोट के बाद एनआईए ने आतिफ समेत अन्य छह लोगों को गिरफ्तार किया था। 

आरोपी ने दावा किया कि आतिफ ने साइकिल की एक दुकान से लौहे के छर्रे के दो पैकेट खरीदे थे, इसके अलावा उसने आतिफ नाम के ही एक अन्य आरोपी के साथ उस स्थान की टोह भी ली थी। आतिफ ने भी दानिश के इस बयान की पुष्टि की है और बताया है कि वह ओल्ड कानपुर के मूलगंज में पटाखे की सामग्री खरीदने गए थे। आतिफ ने बयान में कहा कि उसने वह बम भारतीय वायुसेना के सेवानिवृत्त कर्मी जीएम खान को दे दिया था। खान इस बम को अपनी बाइक पर लेकर लखनउ तक ले गया। उसकी बाइक पर भारतीय वायुसेना का स्टीकर भी लगा था। 

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गत 11 अक्तूबर को वह और समूह के अन्य सदस्य लखनऊ पहुंचे, वहां उन्होंने नया सिम कार्ड खरीदा और खान से संपर्क किया ताकि उस स्थान पर या उसके आसपास कहीं बम लगाया जा सके। दानिश के मुताबिक दशहरे की रात से पहले आतिफ ने बम तैयार कर लिया और उसका टाइमर शुरू कर दिया। वह बम रैली के स्थल के नजदीक कचरे के एक डिब्बे में रख दिया गया। 

खबरों के मुताबिक ISIS से प्रेरित यह संगठन विस्फोट की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन यह खबर कभी आई ही नहीं। दानिश में बयान में कहा है कि दो दिन बाद, आतिफ ने घटनास्थल पर जाकर बम के बारे में पता लगाने की कोशिश की लेकिन वहां उसे महज कुछ तार ही मिले जो देसी बम बनाने में इस्तेमाल किए गए थे। दानिश ने जांचकर्ताओं को बताया कि आतिफ ने इंटरनेट की साइट इंस्पायर से बम बनाना सीखा था। इसे कथित तौर पर प्रतिबंधित अल कायदा संगठन से संबद्धता रखने वाले एक संगठन ने अपलोड की थी। 

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