Friday, April 19, 2024
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भारत में है दुनिया का दूसरा बरमूडा, ले चुका है कई जान...

इतिहास पर अगर नज़र डालें तो US डिफेन्स विभाग के एक बयान में भी कहा गया है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान करीब 400 एयरमैनों ने इस रूट पर ही हवाई हादसों में अपनी जाने गवई है। पिछले

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: May 23, 2017 9:52 IST
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नई दिल्ली: बरमूडा त्रिकोण एक ऐसा नाम जिसे सुनकर बड़े बड़े पायलट भी घबरा जाते हैं। समुद्र और आसमान में अजीबोगरीब घटनाक्रम के लिए मशहुर अटलांटिक महासागर में एक ऐसा हिस्सा है जिसे लोग बरमूडा त्रिकोण या फिर शैतानी त्रिकोण के नाम से भी जानते हैं। अब कुछ ऐसा ही भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के संर्दभ में भी कहा जाने लगा है। कुछ लोग तो अब इसे दुनिया का दूसरा बरमुडा भी कहने लगे हैं जहां उड़ान भरना एक बहुत बड़ा जोखम बनता जा रहा है। (ये भी पढ़ें: भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्टेनलेस स्टील उत्पादक बना, जापान को पछाड़ा)

इतिहास पर अगर नज़र डालें तो US डिफेन्स विभाग के एक बयान में भी कहा गया है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान करीब 400 एयरमैनों ने इस रूट पर ही हवाई हादसों में अपनी जाने गवई है। पिछले कुछ वर्षों में पूरे अरुणाचल प्रदेश के इलाकों पर हवाई हादसों में 100 से भी अधिक लोग अपने जान गवाएं हैं। जानकार बताते हैं की यहाँ का मौसम इन हादसों का सबसे बड़ा वजह रहा है।

जानकारों के मुताबिक....

  • अप्रत्याशित मौसम जो कभी भी अपना रुख बदल लेता है
  • अचानक ही हवाई रूट पर जीरो विज़बिलिटी हो जाना
  • अचानक कुछ वक़्त के लिए आंधी जैसे हालात बनना
  • यह आंधी छोटे विमान, हेलिकॉप्टर को दूर धकेल देते हैं

हादसे के समय इस से पहले कि पाइलट कुछ समझ पाए इन तमाम कारणों के कारण हवाई हादसा हो जाता है।

अबतक अरुणाचल के दुर्गम इलाकों में हुए हवाई हादसे–

वर्ष 1997- तवांग से 40 किलोमीटर की दूरी पर भारतीय वायु सेना का चीताह हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त, 4 की मौत

वर्ष 2001- सेसा के पास हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, 5 लोगों की मौत
वर्ष 2001- बोमडीला के पास पवनहंस हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, 5 की मौत
वर्ष 2010- 19 अप्रैल पवन हंस का हेलिकॉप्टर तवांग मोनेस्ट्री के पास दुर्घटनाग्रस्त।17 लोगों की मौत 6 घायल
वर्ष 2010- 6 अगस्त, नामसाई के पास पवनहंस हेलिकॉप्टर का दरवाजा उड़ान के बीच ही खुल गया, को-पायलट की मौत 10000 फीट नीचे गिरने से हो गई।
वर्ष 2010- नवंबर का महिना IAF का MI-17 हेलिकॉप्टर बोमडीला के पास भारत दुर्घटनाग्रस्त, 12 सेना और वायु सेना के अफसरों की मौत
वर्ष 2010- 19 अप्रैल पवनहंस का MI-17 हेलिकॉप्टर तवांग एयरफील्ड के पास ही दुर्घटनाग्रस्त,19 लोगों की मौत
वर्ष 2011- 29 अप्रैल पवनहंस का AS350 B-3 हेलिकॉप्टर तवांग के लगुथांग में दुर्घटनाग्रस्त, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू समेत 4 लोगों की मौत
वर्ष 2011- जून महीने में IAF AN-32 मेचुका से जोरहाट के रास्ते में विमान दुर्घटनाग्रस्त, 13 लोगों की मौत
वर्ष 2015- 4 अगस्त पवन हंस का हेलीकाप्टर तिराप के जंगलो में दुर्घटनाग्रस्त। तिराप जिला के उपायुक्त कमलेश जोशी के साथ 2 पायलटओं की मौत

इन्ही हादसों के बाद पवनहंस सेवा लगातार सवालों के घेरे में हैं। लोग अब पवनहंस को ‘‘ फ्लाइंग कॉफिन ’’ यानी की उड़ता हुवा ताबूत कह कर पुकारते हैं। इन आंकड़ों पर अगर नज़र डाली जाए पता चलता है कि सबसे अधिक मानसून के महीने यानी की अप्रैल से अगस्त महीने के बीच यह हवाई दुर्घटनाएं घटी हैं।

अगले स्लाइड में सुलझ गया बरमूडा ट्राएंगल का राज़ जहां से ग़ायब हो जाते थे जहाज़....

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