Friday, April 26, 2024
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हार्ट ऑफ एशिया: 'अमृतसर घोषणापत्र' जारी, आतंकी पनाहगाहों को नेस्तनाबूद करने का सकंल्प

अमृतसर: हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में आतंकवाद का मुकाबला करने का मुद्दा केंद्र में रहा और इसने पाकिस्तान को एक साफ संदेश भेजा है कि आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा

Bhasha Bhasha
Updated on: December 04, 2016 21:06 IST
arun jaitley- India TV Hindi
arun jaitley

अमृतसर: हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में आतंकवाद का मुकाबला करने का मुद्दा केंद्र में रहा और इसने पाकिस्तान को एक साफ संदेश भेजा है कि आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हालांकि, इस बुराई से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक क्षेत्रीय ढांचा बनाने के अफगानिस्तान के प्रस्ताव को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।

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सम्मेलन में 2 दिनों की चर्चा में बड़े क्षेत्रीय एवं वैश्विक शक्तियां एवं समूह शामिल हुए। इस चर्चा के बाद अमृतसर घोषणापत्र जारी किया गया जिसने क्षेत्र में आतंकी पनाहगाहों को नेस्तनाबूद करने, आतंकी नेटवर्क को सभी वित्तीय, तरकीबी और साजो सामान सहयोग को बाधित करने की अपील की। भारत और अन्य जगहों पर सीमा पार से हुए कई हमलों की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन (एचओए) ने अफगानिस्तान और क्षेत्र के कई हिस्सों में सुरक्षा की गंभीरता पर गंभीर चिंता जाहिर की।

एचओए ने कहा कि लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा, आईएस और इससे संबद्ध संगठनों, टीटीपी, जमात उल अहरार, जुंदुल्ला तथा विदेशी आतंकी समूहों जैसे संगछनों को रोकने के लिए संयुक्त कोशिश किए जाने की जरूरत है। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कि घोषणापत्र आतंकवाद को शांति एवं स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। यह आतंकवाद के सभी रूपों और इसके सहयोग, वित्तपोषण, पनाहगाहों को फौरन खत्म करने की अपील करता है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जेटली ने कहा, पहली बार किसी हार्ट ऑफ एशिया घोषणापत्र में अफगानिस्तान और क्षेत्र में अलकायदा, दाएश, एलईटी तथा जेईएम जैसे आतंकी संगठनों के द्वारा की गई हिंसा पर चिंता जाहिर की गई। हालांकि, एचओए के इस्लामाबाद घोषणापत्र में अलकायदा और दाएश का जिक्र किया गया था। आतंकी संगठनों का मुकाबला करने के लिए समन्वित सहयोग की अपील करने के अलावा घोषणापत्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर काम्प्रीहेंसिव कंवेंशन को जल्द अंतिम रूप देने की मांग की गई। इसने क्षेत्रीय आतंक रोधी ढांचा के मसौदा पर चर्चा के लिए विशेषज्ञों की शीघ्र बैठक किए जाने का समर्थन किया ताकि इसे जल्द अंतिम रूप दिया जा सके।

अफगानिस्तान ने ढांचे को स्वीकार किए जाने पर जोर दिया लेकिन कई देशों ने अपना समर्थन नहीं दिया जिसके चलते इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सहयोग मुहैया करने और तालिबान सहित आतंकी संगठनों को पनाहगाह मुहैया किए जाने की निंदा करते हुए इस पर अघोषित युद्ध में शामिल रहने का आरोप लगाया जबकि अन्य नेताओं ने इस चुनौती से निपटने के लिए ठोस और निर्णायक कार्रवाई किए जाने की मांग की।

जेटली ने कहा कि सम्मेलन में तीन बड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। इनमें अफगानिस्तान में स्थिरता और सुरक्षा लाना, इसे संपर्क मुहैया करना तथा युद्ध प्रभावित देश का विकास सुनिश्चित करना शामिल है। घोषणापत्र में कहा गया है, हम यह मानते हैं कि क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सहयोग के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है। हम अफगानिस्तान सरकार को सहयोग जारी रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहित करते हैं।

इसमें कहा गया है, हम हार्ट ऑफ एशिया में आतंकी पनाहगाहों को नष्ट करने सहित आतंकवाद के सभी रूपों का खात्मा सुनिश्चित करने के लिए समन्वित क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जोरदार अपील करते हैं। इसमें कहा गया कि इस सिलसिले में हम सभी देशों से अपनी अपनी राष्ट्रीय आतंक रोधी नीतियों, उनके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद रणनीति 2006 के मुताबिक इन आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील करते हैं।

घोषणापत्र में कहा गया कि इसके अलावा हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर काम्प्रीहेंसिव कंवेंशन को आमराय से शीघ्र अंतिम रूप दिए जाने को प्रोत्साहित करते हैं। पाकिस्तान का परोक्ष जिक्र करते हुए घोषणापत्र में कहा गया कि एचओए ने क्षेत्र में आतंकवाद को समर्थन मिलने की बात स्वीकार की और आतंकवाद के सभी रूप, वित्तपोषण सहित इसे सहयोग को फौरन खत्म करने की अपील की। संवाददाता सम्मेलन में जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा तय किए गए रूख के अनुरूप आतंकवाद चर्चाओं के मूल में रहा।

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