Saturday, April 27, 2024
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गोरखपुर में किसकी लापरवाही से गई बच्चों की जान, डीएम की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

इसके अलावा स्टॉक बुक में लेनदेन का पूरा ब्योरा भी नहीं लिखा गया। सतीश की ओर से स्टॉक बुक का न तो अवलोकन किया गया और न ही उसमें हस्ताक्षर किया गया, जो सतीश की लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने इसको गंभीरता से नहीं लिया और घोर लापरवाही बरती।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: August 17, 2017 7:41 IST
Gorakhpur-Tragedy- India TV Hindi
Gorakhpur-Tragedy

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई मासूम बच्चों की मौत मामले की जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने सौंप दिया है। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि मामले को लेकर सतीश को लिखित रूप से अवगत भी कराया गया था, लेकिन उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में बाधा पैदा की। हालांकि वह ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई के लिए जिम्मेदार हैं। लिहाजा वह इसके लिए दोषी हैं। ये भी पढ़ें: लव जिहाद पर बड़ा खुलासा: एक हिंदू लड़की, मुसलमान लड़का और बड़ी साजिश

इसके अलावा स्टॉक बुक में लेनदेन का पूरा ब्योरा भी नहीं लिखा गया। सतीश की ओर से स्टॉक बुक का न तो अवलोकन किया गया और न ही उसमें हस्ताक्षर किया गया, जो सतीश की लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने इसको गंभीरता से नहीं लिया और घोर लापरवाही बरती।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉलेज के सबसे जिम्मेदार अधिकारी प्राचार्य डॉ। राजीव मिश्रा और एनेस्थीसिया विभाग के हेड डॉ। सतीश कुमार मुख्यमंत्री के निरीक्षण के अगले ही दिन मेडिकल कॉलेज से चले गए। और मामले की गंभीरता को जानते हुए भी इन दोनों अधिकारियों ने सीएम के समक्ष ऑक्सीजन की कमी पर कोई चर्चा नहीं की।

बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों के अपराधी वहां के प्रधानाचार्य और अन्य प्रभारी हैं। डीएम गोरखपुर ने शासन को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें इन सभी की लापरवाही का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानाचार्य, एनेस्थीसिया विभाग के हेड, सीएमएस, कार्यवाहक प्राचार्य, नियोनेटल वार्ड के प्रभारी, बाल रोग विभाग की हेड की लापरवाही के कारण ये हादसा हुआ। यदि समय पर इन अधिकारियों ने एक्शन लिया होता तो शायद ये नौबत न आती।

जिलाधिकारी की रिपोर्ट में ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी को भुगतान न होने के पीछे वित्तीय अनियमितता करने की मंशा का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई रोकने के लिए जिम्मेदार है। मासूम बच्चों की जिंदगी को देखते हुए कंपनी को ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई नहीं बंद करनी चाहिए थी।

बता दें कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मासूम बच्चों की मौतों ने हर किसी को झकझोर दिया। मामला सामने आने के बाद कंपनी की ओर से यह दलील दी गई थी कि पिछले कई महीने से भुगतान नहीं मिलने के चलते ऑक्सीजन के सिलेंडर की सप्लाई बंद करनी पड़ी थी।

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