नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ब्रिटेन में यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य बने रहने या उससे बाहर निकलने (ब्रेक्सिट) से जुड़े घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए है। एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि इस संबंध में किसी भी तरह की अस्थिरता को संभालने के लिए भारत ने पूरी तरह से कमर कस ली है।
उद्योग संघों ने ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने की स्थिति में सरकार से आपात योजना तैयार रखने को कहा है। उद्योग संगठन एसोचैम ने अपने बयान में कहा, "एक प्रमुख उभरते बाजार के रूप में भारत में बड़े पैमाने पर उतार-चढ़ाव हो सकता है और बड़े स्तर पर विदेशी निवेशक पूंजी निकाल सकते हैं।"
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के मुताबिक भारत बाकी यूरोप की तुलना में ब्रिटेन में अधिक निवेश करता है। भारत ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक है। भारत के अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार में ब्रिटेन 12वें स्थान पर है। जिन 25 देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक संतुलन भारत पक्ष में झुका हुआ है उनमें ब्रिटेन सातवें स्थान पर है।
वाणिज्य मंत्रालय आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 में ब्रिटेन के साथ भारत का व्यापार 14.02 अरब डॉलर रहा, जिसमें से 8.83 अरब डॉलर निर्यात और 5.19 अरब डॉलर आयात था। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के भी मुताबिक यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने से भारतीय कारोबार में अनिश्चितता आएगी। इसके साथ ही निवेश और ब्रिटेन जाने वाले पेशेवरों के रुझान पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।