Tuesday, March 19, 2024
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प्यार में मिली नाकामी तो उठा ली बंदूक, बन गया कुख्यात आतंकवादी

कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में मारे गए हिजबुल का कमांडर सबजार अहमद ने प्यार में मिली नाकामी के बाद बंदूक उठा ली और आतंकवाद की राह पर निकल पड़ा। जानकारी के मुताबिक, 25 साल का सबजार अहमद 'सब डॉन' के नाम से भी कुख्यात था।

IndiaTV Hindi Desk IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 27, 2017 19:07 IST
Sabzar ahmed- India TV Hindi
Sabzar ahmed

नई दिल्ली: कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में मारे गए हिजबुल का कमांडर सबजार अहमद ने प्यार में मिली नाकामी के बाद बंदूक उठा ली और आतंकवाद की राह पर निकल पड़ा। जानकारी के मुताबिक, 25 साल का सबजार अहमद 'सब डॉन' के नाम से भी कुख्यात था। बुरहान वानी के मारे जाने के बाद वह हिजबुल के लिए काम कर रहे कश्मीरी युवाओं की अगुआई कर रहा था। बीते साल 7 जुलाई को वानी के एनकाउंटर के बाद सबजार को हिजबुल का नया लोकल कमांडर बनाया गया था। उसे वानी के अंतिम संस्कार के दौरान भी देखा गया था। हालांकि, एक बार वह स्थानीय लोगों के पथराव की आड़ लेकर फरार होने में कामयाब रहा था।

 
प्यार में नाकाम होकर आतंकवाद की ओर मुड़ा 

सबजार साउथ कश्मीर के त्राल का रहने वाला था। उसके पिता का नाम गुलाम हसन बट है। बुरहान के बचपन का दोस्त और उसका बेहद भरोसेमंद माने जाने वाले सबजार को कश्मीर में ऐक्टिव आतंकियों के अलावा लाइन ऑफ कंट्रोल के दूसरी ओर आतंकी आकाओं के बारे में पूरी जानकारी थी। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्यार में नाकाम होने के बाद वह आतंकवाद की ओर मुड़ गया। लड़की के घरवालों ने उसके शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। बुरहान के भाई खालिद के 2015 में मारे जाने के बाद सबजार हिजबुल में शामिल हुआ। हिजबुल आतंकियों द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके घाटी में अशांति फैलाने के आइडिया का सबजार का ही था। बता दें कि बुरहान और उसके साथियों के कई तस्वीरें और विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। इन विडियोज के जरिए ही बुरहान को कश्मीर के आम लोगों में पहचान मिली। इन फोटोज और विडियो में सबजार भी नजर आया था। 
 
राइफल छीनकर साबित किया था 'हुनर' 

कहा जाता है कि सबजार ने एक जवान से हथियार छीनकर अपनी योग्यता साबित की थी। इसके बाद ही उसे संगठन में जगह मिली। घटना उस वक्त की है, जब बुरहान के भाई की मौत के विरोध में स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे थे। तभी सबजार ने एक सुरक्षाकर्मी से उसकी राइफल छीन ली थी। इसके बाद उसने सीमा पार न जाकर कश्मीर के घने जंगली इलाकों में ही आतंकी ट्रेनिंग ली। बाद में कई बड़ी आतंकी गतिविधियों में शामिल हुआ। बता दें कि त्राल का इलाका गुलशनपुरा, गूसू और शिकारगाह के जंगलों से घिरा है, जो आतंकियों की शरणस्थली भी है। सबजार का नाम स्थानीय ग्राम सरपंचों और सुरक्षाबलों पर हुए कई हमलों में आता है। इसके अलावा, सुरक्षाबलों के मुखबिर माने जाने वाले आम लोगों की हत्याओं में भी उसका हाथ रहा है। स्थानीय पुलिस ने भी उसपर इनाम का ऐलान किया था। सबजार ने घाटी के इलाकों में हिजबुल का जमीनी नेटवर्क तैयार किया था।

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