नई दिल्ली: नकदी संकट से प्रभावित सेवा क्षेत्र में नवंबर महीने में तीन साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार जून, 2015 के बाद पहली बार सेवा क्षेत्र में नए ऑर्डरों में गिरावट आई है, हालांकि मुद्रास्फीति में नरमी से रिजर्व बैंक के लिए दरों में कटौती का रास्ता खुला है।
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मासिक आधार पर सेवा क्षेत्र की कंपनियों का आकलन करने वाले निक्केई इंडिया सर्विसेज खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) नवंबर में 46.7 पर रहा है, जो कि अक्तूबर में 54.5 पर था। सूचंकांक के 50 से उपर होने का मतलब विस्तार तथा नीचे होने का अभिप्राय संकुचन से है। सेवा क्षेत्र के पीएमआई में जून, 2015 के बाद पहली बार गिरावट आई है और यह इसमें करीब तीन साल में सबसे बड़ी गिरावट है।
आईएचएस मार्किट अर्थशास्त्री एवं रिपोर्ट की लेखक पोलियान्ना डे लीमा ने कहा कि भारतीय सेवा क्षेत्र के ताजा पीएमआई आंकड़ों से पता चलता है कि 500 और 1,000 के नोटों पर प्रतिबंध से कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिससे नए ऑर्डर घटे हैं। कारोबारी गतिविधियों में गिरावट आई है और पिछले 16 महीने से जारी विस्तार के सिलसिले पर रोक लगी है।
निक्केई इंडिया कम्पोजिट पीएमआई उत्पादन इंडेक्स भी नवंबर में घटकर 49.1 पर आ गया, जो अक्तूबर में 45 महीने के उच्चस्तर 55.4 पर था। इससे पता चलता है कि समूचे निजी क्षेत्र की गतिविधियों में संकुचन आया। इनमें विनिर्माण क्षेत्र भी है। सर्वेक्षण में शामिल कई कंपनियों ने कहा कि नकदी संकट की वजह से उनकी बुकिंग प्रभावित हुई। यही नहीं नकदी संकट से विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन भी प्रभावित हुआ जहां नए आर्डरों का प्रवाह ठहर गया।
लीमा ने कहा कि कारोबारी गतिविधियों में बाधा थोड़े समय के लिए होगी। बहुत से लोगों का मानना है कि इन ऊंचे मूल्य के नोटों को बदले जाने तथा काले बाजार वाली कंपनियों का परिचालन बंद होने से गतिविधियों में तेजी आएगी।