कोलकाता: एक वरिष्ठ मनोचिकित्सक ने कहा है कि नकदी के लिए जूझ रहे लोगों, खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर नोटबंदी बुरा असर डाल रही है। फोर्टिस, आनंदपुर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक संजय गर्ग ने कहा, ‘बीते कुछ दिनों में मेरे पास ऐसे कई मरीज आए जिन पर नोटबंदी का बुरा प्रभाव पड़ा है। इनमें से कई का संबंध बंगाल के ग्रामीण इलाकों से था जहां लोग नकदी पर ही निर्भर करते हैं। शहरों में तो लोग ऑनलाइन भुगतान या कार्ड से भी काम चला लेते हैं लेकिन गांवों में यह बहुत कम प्रचलन में हैं। ग्रामीणों के पास प्लास्टिक मनी का विकल्प नहीं होता।’
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गर्ग ने यह भी कहा कि नकदी की कमी की वजह से कई लोग चिकित्सकों या अस्पतालों से सलाह के लिए ली गई तारीख पर पहुंच नहीं रहे हैं। वे यात्रा के खर्चे और डॉक्टर की फीस चुका पाने की स्थिति में नहीं हैं। गर्ग ने कहा कि फोन पर मरीज कंसल्ट कर सकता है लेकिन फिर फोन पर मरीज की वैसी जांच हो नहीं सकती जैसी सामने होने पर होती है। गर्ग ने नोटबंदी के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी मदद तो खुद की जीवनचर्या में बदलाव से मिल सकती है। उदाहरण के लिए तेज चलने या गहरी सांस लेने जैसे व्यायाम से दिल और दिमाग को राहत मिलती है।
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उन्होंने कहा, ‘संगीत सुनने, नृत्य करने या अपने ऐसी ही शौक को पूरा करने में ध्यान लगाने से भी तनाव से बचने में मदद मिलेगी। जो लोग धार्मिक प्रवृत्ति के हैं वे ध्यान (मेडिटेशन) में दिल लगा सकते हैं।’ गर्ग ने कहा, ‘कहीं से भी मिली किसी सूचना पर विश्वास न करें। सूचना पर कोई कदम उठाने से पहले उसकी विश्वसनीयता को जांच लें।’ उन्होंने कहा कि धूम्रपान और मद्यपान छोड़ने से भी मदद मिलेगी। सामाजिक संबंधों का दायरा बढ़ाना भी मौजूदा समय में बहुत जरूरी है। नोटबंदी की वजह से छोटे कारोबार समेत कई क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ा है। नोटबंदी से परेशान होकर लोगों की मौत की खबरें, जिनमें आत्महत्या भी शामिल हैं, लगातार आ रही हैं।