महीने की शुरुआत होते ही देश भर में एक चौथाई ATM से कैश ग़ायब हो गया है। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि लोगों ने भुगतान और ख़रीद-फ़रोख़्त के लिए मोटी रकम निकल ली।
बैंक अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि असंगठित क्षेत्रों में अभी भी लाखों कर्मचारियों को कैश में भुगतान किया जाता है जो अमूमन महीने के पहले हफ़्ते में किया जाता है। मंगलवार को फ़ैक्ट्री कर्मचारियों को वेतन बांटा जाता है और कल क़रीब 56 करोड़ कर्मचारियों को वेतन बांटा गया जिसकी वजह से कैश की कमी हो गई।
कैश की ताज़ा कमी से नोटबंदी के औचित्य पर एक बार फिर प्रश्न चिन्ह लग गया है और विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक और मौक़ा मिल गया है।
बहरहाल, बैंक अधिकारियों का कहना है कि ये संकट दस फरवरी तक ख़त्म हो जाएगा। पिछले हफ़्ते भारतीय रिज़र्व बैंक ने ATM से कैश निकालने की सीमा बढ़ाकर 24 हज़ार कर दी थी। इसके पहले ये सीमा 2500 थी।
नोटबंदी के पहले रोज़ाना 13 हज़ार करोड़ रुपये ATM मे डाले जाते थे लेकिन इस समय क़रीब 12,000 करोड़ रुपये डाले जा रहे हैं।
ऑल इंडिया बैंक एंप्लायज़ एसोसिएशन के महासचिव वेंकटचलम के अनुसार, “आज भी कैश की काफी कमी है और लोगों, ख़ासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वालो लोगों को फिर से काफी दिक़्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई ATM में कैश नही है।”