Tuesday, April 16, 2024
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‘नोटबंदी से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियां प्रभावित होंगी’

जयपुर: पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई लेखक तारिक फतेह ने शनिवार को कहा कि पांच सौ और एक हजार रुपए के पुराने नोटों का चलन बंद करने के मोदी सरकार के फैसले से भारत के खिलाफ

Bhasha Bhasha
Published on: November 20, 2016 9:30 IST
Tarek Fatah- India TV Hindi
Tarek Fatah

जयपुर: पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई लेखक तारिक फतेह ने शनिवार को कहा कि पांच सौ और एक हजार रुपए के पुराने नोटों का चलन बंद करने के मोदी सरकार के फैसले से भारत के खिलाफ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और जाली नोटों का आवक बंद हुआ है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित कार्यक्रम ‘जयपुर डायलाग’ के दौरान फतेह ने कहा, ‘यह बहुत अच्छा फैसला है। डिजिटल दुनिया में पहली बार नोटों का चलन बंद हुआ है और लोगों की जिन्दगी बदल देगा।’ अपने कटु पाकिस्तान विरोधी विचारों के लिए प्रसिद्ध लेखक ने कहा, ‘इस कदम से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बहुत धक्का लगा है क्योंकि आतंकी गतिविधियों के लिए धन और जाली नोट बंद हो गए हैं।’ संवाद कार्यक्रम के दौरान एक श्रोता के प्रश्न का जवाब देते हुए तारिक फतेह ने कहा कि ब्लूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होने के लिये संघषर्रत है और वह तभी पाकिस्तान जाना चाहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान सम्मान पाने का हकदार नहीं है और वह तभी पाकिस्तान जाना चाहेंगें जब पाकिस्तान टूट जाये और ब्लूचिस्तान स्वतंत्र हो जाये।’ भारत के साथ पाकिस्तानी रिश्तों को सुधारने की बात करने वालों पर निशाना साधते हुए फतेह ने कहा कि जो भारतीय पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहते उन्हें पाकिस्तान की वास्तविकता के बारे में बताना चाहिए और यदि उसके बावजूद वे पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार चाहते है तो इसका मतलब साफ है कि वे भारत हितेषी नहीं है।

फतेह ने कहा, ‘ऐसे लोगों को बेनकाब कर देना चाहिए। जो लोग भारत में रहकर भारत से नफरत करते हैं उन्हें भारत में रहने का कोई हक नहीं है। उन्हें धक्के दे कर बाहर कर देना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त को भी वापस भेज देना चाहिए। तारिक फतेह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममजा बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा नोटों का चलन बंद करने का विरोध करने की भी आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और उमर अब्दुल्ला कालाधन को रोकने के लिये जो निर्णय लिया गया है उससे क्यों परेशान है? ये लोग आम आदमी की समस्याओं के बारे में तो बात कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन्हें आम आदमी की मुश्किलों के बारे मे पता नहीं हैं।’ संवाद कार्यक्रम में अमेरिका के हिन्दू विद्वान डेविड फ्रेवले ने कहा कि भारत को ‘सॉफ्ट पावर’ पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘भारत दुनिया की महानतम सभ्यताओं में से एक है। यहां की कला संस्कृति, विकसित विज्ञान और तकनीकी विश्वभर में विख्यात है।’ उन्होंने कहा कि हालांकि भारत ने अभी तक पूरी तरह अपनी ‘सॉफ्ट पावर’ इस्तेमाल नहीं किया है, और नई पीढी पुराने भारत की परम्पराओं से एक कटाव और दूरी महसूस करती है, जिसे रोकने की आश्वकता है।

उन्होंने कहा कि भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ में भारत में दबा दिया गया लेकिन पश्चिम देशों के शिक्षित लोगो द्वारा अपनाया गया है। इसपर अब भारत को अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

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