Friday, April 19, 2024
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दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ने से बिगड़ा आम आदमी का बजट? पढ़ें, रिपोर्ट

दिल्ली मेट्रो ने खस्ता माली हालत का हवाला देकर एक झटके में किराए में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी कर दी है। बढ़े हुए किराए की मार से मेट्रो में सफर कर रहे यात्रियों का बजट डगमगा गया है।

IANS IANS
Published on: May 18, 2017 18:39 IST
Representational Image | PTI- India TV Hindi
Representational Image | PTI

नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो ने खस्ता माली हालत का हवाला देकर एक झटके में किराए में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी कर दी है। बढ़े हुए किराए की मार से मेट्रो में सफर कर रहे यात्रियों का बजट डगमगा गया है। आलम यह है कि लोगों ने मेट्रो छोड़ फिर बसों से सफर करना शुरू कर दिया है। नोएडा की एक कंपनी में काम करने वाले साकेश रतूरी रोजाना मेट्रो के जरिए पालम से नोएडा तक का सफर तय करते हैं। किराया बढ़ने के बाद उनका बजट इतना डगमगा गया कि उन्होंने मेट्रो छोड़ बस से ऑफिस पहुंचना शुरू कर दिया है।

साकेश बताते हैं, ‘किराए में दोगुनी बढ़त हुई है। अब मेट्रो से ऑफिस आने-जाने में सीधे 100 रुपये लगते हैं, किराए पर रोजाना 100 रुपये खर्च नहीं कर सकता। सैलरी इतनी नहीं है कि रोजाना 100 रुपये किराए पर खर्च कर सकूं। बच्चे को चॉकलेट देने के लिए भी पैसे नहीं बचेंगे। इसलिए अब मैंने बस से आना शुरू कर दिया है।’ यह सिर्फ साकेश की कहानी नहीं है, बल्कि ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने किराए में बढ़ोतरी की मार के बाद बसों की ओर रुख कर लिया है। दिलशाद गार्डन में रहने वाली सुमन (25) का कहना है, ‘DMRC के नए स्लैब में न्यूनतम किराया 8 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया है और अधिकतम किराया 30 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया है। मेरी सैलरी इतनी नहीं है कि अब रोजाना मेट्रो से सफर कर पाऊं। अब एक या 2 स्टेशन पहले उतरकर पैसे बचाने की जुगत में रहती हूं।’

DMRC के आधिकारिक बयान के मुताबिक, ‘किराया बढ़ाने पर लंबे समय से विचार किया जा रहा था। यदि अब किराया नहीं बढ़ाते तो काफी घाटा सहना पड़ता। बिजली और मरम्मत कार्यो में काफी खर्च हो रहा है। किराए में बढ़ोतरी ऑपरेशनल लागत को देखते हुए की गई है, जो कमाई से कहीं अधिक है।’ मेट्रो में सुबह से लेकर शाम तक ठसमठस भीड़ देखी गई है। हालत यह कि पीक आवर में बच्चों या बूढ़ों को साथ लेकर सफर करने की सोच भी नहीं सकते। एसी चलने के बावजूद दम घुटने लगता है। सुबह 9 बजे से 10 बजे और शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक मेट्रो के किसी डिब्बे में घुसने के लिए लोगों को कई-कई गाड़ियां छोड़नी पड़ती है। भीड़ का सीधा मतलब आमदनी है, फिर भी DMRC ने घाटे का रोना रोते हुए किराया बढ़ा दिया।

एक नजर में देखें तो DMRC की कुल आय वर्ष 2013-2014 की तुलना में 2014-2015 के बीच 11.7 फीसदी बढ़ी है, जबकि 2014-2015 से 2015-2016 के दौरान आय 21.6 फीसदी बढ़ी है। मतलब, आय में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है। ऐसे में घाटे वाला तर्क कहां ठहरता है? इसके जवाब में DMRC के प्रवक्ता अनुज दयाल ने कहा, ‘मेट्रो की कई परियोजनाएं हैं, जिनके लिए तत्काल फंड की जरूरत है। मेट्रो की संचालन लागत कमाई की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसलिए किराया बढ़ाना जरूरी था, वरना मेट्रो को काफी घाटा उठाना पड़ सकता था।’ बहरहाल, मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती। लोगों का कहना है कि एक झटके में किराए में बेतहाशा वृद्धि तो कर दी गई, लेकिन मेट्रो की लचर सेवा को लेकर DMRC का रवैया उदासीन है।

रोजाना रोहिणी से शाहदरा तक का सफर करने वाली सोनल शर्मा ने बताया, ‘दिक्कत यह है कि 8 साल का हवाला देकर किराया बढ़ा दिया गया, लेकिन मेट्रो सेवाओं में कमियों की तरफ अभी तक गौर नहीं किया गया। कई मेट्रो में AC काम नहीं करते। यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए फेरे नहीं बढ़ाए जा रहे। कई स्टेशनों पर रात 10 बजे के बाद यह सूचना भी नहीं दी जाती कि कोई गाड़ी है या नहीं और है तो कितने बजे है। स्टाफ भी कहता है, मुझे नहीं पता। पैसे लिए जा रहे हैं तो सेवा भी तो बेहतर देनी चाहिए।’ 

DMRC का कहना है कि 8 साल बाद किराए में बढ़ोतरी की गई है, इसलिए जो लोग सोच रहे हैं कि अब किराए में अगली बढ़ोतरी भी 7-8 साल बाद होगी तो ऐसा नहीं है। 1 अक्टूबर से दोबारा मेट्रो किराए में वृद्धि होने जा रही है। मेट्रो से रोजाना सफर करने वाले सौरभ कहते हैं, ‘बहुत हो गया मेट्रो से सफर, अब फिर मोटरसाइकिल से ऑफिस जाना शुरू करूंगा।’ अगर सौरभ की तरह बाकी लोग भी यही सोच अपना लें, तो सरकार की प्रदूषण के खिलाफ मुहिम का क्या होगा, उस पर भी गौर करने की जरूरत है।

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