नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने आज विवादित मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से कहा कि विजय माल्या की तरह व्यवहार मत कीजिए। अदालत ने उन्हें नवंबर के मध्य तक भारत वापस लौटने और उनके खिलाफ दर्ज धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
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न्यायमूर्ति एके पाठक ने दुबई में मौजूद कुरैशी की वह याचिका ठुकरा दी जिसमें एजेंसी द्वारा गिरफ्तारी या किसी दंडात्मक कार्रवाई से 15 दिन के लिए अंतरिम संरक्षण का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा, विजय माल्या की तरह व्यवहार मत कीजिए। अदालत ने कहा, कारोबारी विजय माल्या वाला रूख मत अपनाइए। आपको पहले पूछताछ के लिए पेश होना होगा। आप भारत में नहीं हैं। यह दिखाता है कि आप पेश नहीं होना चाहते। पहले आप देश वापस लौटें और पूछताछ में शामिल हों।
अदालत ने कहा कि वह किसी तरह का अंतरिम आदेश देने के पक्ष में नहीं है। उसने कहा कि वह कुरैशी के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम उठाने से एजेंसी को रोकने नहीं जा रही। कुरैशी हाल में ईडी द्वारा उनके खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर के बावजूद विदेश जाने में सफल रहे थे। अदालत ने कहा, आप उनके (प्रवर्तन निदेशालय के) समक्ष पेश हों। आपको गिरफ्तार करना या नहीं करना ऊनपर है। मैं कुछ नहीं कहने जा रहा हूं। अगर आप अपने खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं चाहते तो आप अंतरिम जमानत के लिए जाएं।
बहरहाल, अदालत ने ईडी द्वारा कुरैशी के खिलाफ उन्हें हिरासत में लेने के लिए जारी लुकआउट सर्कुलर पर 16 नवंबर तक रोक लगा दी और उन्हें 22 नवंबर को ईडी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
अदालत का यह निर्देश उस समय आया जब कुरैशी ने अपनी बेटी सिल्विया कुरैशी के मार्फत एक याचिका दायर कर आग्रह किया कि जांच में उनके शामिल होने के बाद वह गिरफ्तारी या किसी दंडात्मक कार्रवाई से उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाये। कुरैशी के वकील आरके हांडू ने यह भी अनुरोध किया कि उन्हें कम से कम 15 दिन का संरक्षण दिया जाना चाहिए वरना यह उनके मुवक्किल के खिलाफ पूर्वाग्रह होगा।
उन्होंने कहा, मैं भारत में उतरने के बाद सीधे आपके (ईडी) कार्यालय आऊंगा। लुकआउट सर्कुलर जारी होने के बाद 15 अक्तूबर को आईजीआई हवाई अड्डे पर रोके जाने के बाद कुरैशी एक निचली अदालत का आदेश दिखा कर दुबई जाने में कामयाब रहे थे। यह आदेश आयकर के एक मामले में था जिसमें उन्हें जमानत प्रदान की गई थी, लेकिन इसका कोई रिश्ता उस मामले से नहीं था जिसके संबंध में उन्हें एलओसी जारी किया गया था।
बहरहाल, अदालत ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) को नोटिस जारी कर उन्हें ईसीआईआर निरस्त करने के कुरैशी के आग्रह पर चार हफ्तों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया।