नई दिल्ली: करीब महीने भर पहले राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनूय के छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को आज यहां की एक अदालत ने 6 महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रीतेश सिंह ने 25,000-25,000 रूपए के निजी बांड और उतनी ही राशि के मुचलके पर दोनों आरोपियों को राहत दी।
न्यायाधीश ने कहा, मैं उन्हें छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे रहा हूं। अदालत ने कहा कि दोनों बिना पूर्व अनुमति के देश नहीं छोड़ेंगे। उमर और अनिर्बान ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ समानता के आधार पर जमानत मांगी और कहा कि कन्हैया पहले ही जमानत मिल चुकी है एवं इस घटना पर राजद्रोह का आरोप भी नहीं बनता।
दोनों 23 फरवरी से जेल में हैं। उन्होंने 23-24 फरवरी की दरम्यानी रात को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। कन्हैया को दो मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय से छह महीने के लिए अंतरिम जमानत मिली थी। अदालत का आज का आदेश राजद्रोह के एक मामले में दायर जमानत अर्जियों पर आया है जिनका पुलिस ने पहले इस आधार पर विरोध किया था कि आरोप गंभीर हैं क्योंकि वे परिसर में उस कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे जहां राष्ट्रविरोधी नारे लगे थे।
पुलिस ने उमर और अनिर्बान को जेएनयू में नौ फरवरी को विवादास्पद कार्यक्रम का आयोजन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दोनों 12 फरवरी से गायब रहने के बाद 21 फरवरी को जेएनयू परिसर लौटे थे। दिल्ली पुलिस ने 20 फरवरी को उमर, अनिर्बान तथा तीन अन्य छात्रों - रामा नागा, आशुतोष कुमार और अनंत प्रकाश के खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी किया था।