मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय में आज उस वक्त माहौल काफी भावुक हो गया जब अपने पिता के साथ रहना चाह रहे एक नाबालिग बच्चे को अदालत ने अपनी मां के साथ रहने को कहा तो वह फूट-फूटकर रोने लगा। बच्चा अपनी मां की बजाय पिता के साथ ही रहना चाहता था, लेकिन एक परिवार न्यायालय ने उसे अपनी मां के पास रहने का निर्देश दिया था।
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न्यायमूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी की खंडपीठ 28 साल की महिला की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह उसके पूर्व पति को 6 साल के बेटे के साथ अदालत में पेश होने का निर्देश दे। महिला के मुताबिक, उसकी शादी 2006 में हुई थी और 2010 में उसने अपने बेटे को जन्म दिया। दिसंबर 2014 में दंपति का तलाक हो गया और बच्चे को अपने पास रखने का हक मां को मिला, क्योंकि बच्चा नाबालिग था।
याचिकाकर्ता के वकील राजा ठाकरे ने कहा, पिछले साल आठ अगस्त को पिता उस वक्त बच्चे को जबरन अपने साथ ले गया जब वह स्कूल से लौट रहा था। फिर पिता बच्चे को लेकर शहर से भाग गया। इसके बाद महिला ने बच्चे के पिता के खिलाफ अपहरण की एक शिकायत दर्ज कराई।
जांच के दौरान पता चला कि 30 साल का पिता अपने बेटे को गुजरात के सूरत लेकर चला गया था, लेकिन पुलिस उनका पता नहीं लगा सकी। महिला ने इसके बाद उच्च न्यायालय का रूख किया। पिता आज अपने बेटे के साथ अदालत में पेश हुआ। परिवार न्यायालय की ओर से बच्चे को रखने का हक मां को दिए जाने के बाद भी बेटे को अपने साथ ले जाने पर उच्च न्यायालय ने पिता को फटकार लगाई। पीठ ने पिता को आदेश दिया कि वह अदालत से बाहर कदम रखते ही बच्चा मां को सौंप दे। यह निर्देश देकर न्यायालय ने याचिका का निपटारा कर दिया।
बहरहाल, जब महिला ने बेटे को अपने साथ ले जाने की कोशिश की तो बच्चा फूट-फूटकर रोने लगा और कहने लगा कि वह अपनी मां की बजाय अपने पिता के साथ रहना चाहता है। इस पर पीठ ने दंपति को अदालत के बाहर जाने को कहा। इसके बाद मां रोते हुए बच्चे को अपने साथ लेकर चली गई।