Saturday, April 27, 2024
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छत्तीसगढ़ में मिले 'एलियन' के निशान, रहस्य को खंगालने पहुंची अमेरिकी टीवी टीम!

रायपुर: छत्तीसगढ़ का पुरा इतिहास अपने अंदर कई ऐसे-ऐसे रहस्य समेटे हुए है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। छत्तीसगढ़ के सिरपुर की पुरातात्विक खुदाई में ढाई हजार साल पुराने कई ऐसे अवशेष मिले

IANS IANS
Published on: March 21, 2017 10:02 IST
Chhattisgarh Aliens- India TV Hindi
Chhattisgarh Aliens

रायपुर: छत्तीसगढ़ का पुरा इतिहास अपने अंदर कई ऐसे-ऐसे रहस्य समेटे हुए है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। छत्तीसगढ़ के सिरपुर की पुरातात्विक खुदाई में ढाई हजार साल पुराने कई ऐसे अवशेष मिले हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि हजारों साल पहले भी मनुष्य विज्ञान का भलीभांति प्रयोग करते रहे होंगे। सिरपुर में मिला प्राचीन भूकंप-रोधी सुरंग टीला इसका बेजोड़ नमूना है। इसके साथ ही खुदाई में एलियन यानी दूसरे ग्रहों के प्राणियों की भी मौजूदगी के सबूत मिले हैं। सिरपुर से जुड़ी इन्हीं सब रहस्य को खंगालने और डाक्यूमेंट्री बनाने यूएसए (अमेरिका) की एंशिएट एलियन (जार्जिया) की टीम पहुंची। टीम ने वरिष्ठ पुरातत्वविद् और पुरातत्व सलाहकार पद्मश्री डॉ. अरुण शर्मा के नेतृत्व में सिरपुर क्षेत्र की शूटिंग की।

गौरतलब है कि डॉ. शर्मा ने ही सिरपुर की खुदाई का पूरा नेतृत्व किया था। डॉ. शर्मा ने बताया कि यूएसए की टीम ने सुबह से शाम तक सिरपुर के विभिन्न हिस्सों की शूटिंग की। टीम सोमवार की सुबह वापस रवाना हुई।

विशेष चर्चा में डॉ. शर्मा ने बताया कि विदेशों में भी लोगों द्वारा दूसरे ग्रहों से आई हुई उडनतश्तरियां समय-समय पर देखे जाने के समाचार मिलते ही रहते हैं। इस तरह की बातों को काल्पनिक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि समय-समय पर उनके प्रमाण मिलते गए हैं।

उन्होंने बताया कि सिरपुर उत्खनन में बाजार क्षेत्र से करीब 2600 वर्ष पुरानी पकाई हुई मिट्टी के पुतले मिले हैं, जिन्हें सामान्य खिलौना नहीं कहा जा सकता। इनमें कुछ ऐसे हैं, जो पाश्चात्य देशों में मिले एलियंस के नाम से विख्यात मूर्तियों के ही समान हैं। कुछ में तो एलियंस के चेहरों और मास्क में इतनी समानता है कि इन्हें आज से 2600 वर्ष पहले सिरपुर के कलाकारों ने बनाया, जबकि उनका विदेशों से कोई संबंध ही नहीं था।

डॉ. शर्मा बताते हैं कि जब कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिक सिरपुर आए, तब उन्हें इन मूर्तियों को दिखाया गया तो वे भी उनकी कल्पना एवं सिरपुर के कारीगर की कल्पना में समानता से आश्चर्यचकित हो गए। उनका मानना है कि जब तक बनाने वाले इन एलियन को नहीं देखा होगा, तब तक ऐसी सौ प्रतिशत समानता नहीं आ सकती। इससे साफ जाहिर है कि सिरपुर जैसे संपन्न एवं विकसित वाणिज्यिक इलाके में दूसरे ग्रहों के ये प्राणी आए होंगे।

वहीं डॉ. शर्मा ने बताया कि आज से 1800 साल पहले भी सिरपुर में वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से पंचायतन शिवमंदिर में सुरंग टीले का निर्माण कराया गया था। इस सुरंग टीले में भूकंप-रोधी उपाय किए गए थे।

शिवमंदिर के प्रत्येक गर्भगृह के सामने एक मीटर लंबा, आधा मीटर चौड़ा और 60 से 80 फीट गहरा कुंड खोदा गया है। जिसको खाली स्थान (वैक्यूम) बनाकर सील कर दिया गया है।

जैसा कि सर्वविदित है शून्य में भूकंप आदि ध्वनि की तरंग प्रवेश नहीं कर सकती, जिसके कारण पूरा मंदिर सुरक्षित रहा। डॉ. शर्मा ने बताया कि 11वीं शताब्दी में सिरपुर में भयंकर भूकंप आया था। इसके चलते दूसरे मकान या मंदिर की सीढ़ी तो ढह गए, लेकिन इन सुरंग टीलों को कोई नुकसान नहीं हुआ।

डॉ. शर्मा ने आगे बताया कि आज से करीब दो हजार साल पहले भी सिरपुर में अन्न को सुरक्षित रखने भूमिगत अन्नागार बनाए गए थे। जिससे अन्न चूहों और चोरी से सुरक्षित रहते थे। प्रत्येक अन्नागार के सामने आयुर्वेद स्नानकुंड है। जिसमें अलग-अलग कुंडों में अलग-अलग जड़ी-बूटियों होती थी। अन्नागार के ठीक सामने स्नानकुंड बनाए जाने को लेकर डॉ. शर्मा ने कहा कि जड़ी-बूटियों के सुगंध से अन्न में दीमक आदि नहीं लगते थे।

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