Friday, March 29, 2024
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असम के इस गांव में पिछले 500 साल से हो रहा है कैशलेस लेन-देन

देश के आर्थिक परिदृश्य में भले ही नकदी-रहित (कैशलेस) चर्चा में आया नया शब्द हो सकता है, लेकिन गुवाहाटी से 32 किमी दूर छोटे से कस्बे में असम की तिवा जनजाति के लोग हर साल एक अनोखे व्यापारिक मेले का आयोजन करते हैं जिसमें सारा लेनदेन कैशलेस होता है।

Bhasha Bhasha
Published on: January 23, 2017 15:47 IST
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गुवाहाटी: देश के आर्थिक परिदृश्य में भले ही नकदी-रहित (कैशलेस) चर्चा में आया नया शब्द हो सकता है, लेकिन गुवाहाटी से 32 किमी दूर छोटे से कस्बे में असम की तिवा जनजाति के लोग हर साल एक अनोखे व्यापारिक मेले का आयोजन करते हैं जिसमें सारा लेनदेन सिर्फ कैशलेस होता है।

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मध्य असम और पड़ोसी मेघालय की जनजाति तिवा असम के मोरीगांव जिले में जनवरी के तीसरे हफ्ते में सालाना 3 दिन तक चलने वाले मेले जुनबील का आयोजन करती है और इस समुदाय ने 5 से भी ज्यादा सदियों से इस किस्म के लेन-देन की व्यवस्था को बनाए रखा है। मेले का हाल ही में समापन हुआ है। इसमें शरीक होने वाले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि तिवा लोगों के इस चलन से लोगों को सीखना चाहिए। इतिहासकारों के मुताबिक इस मेले का आयोजन 15वीं सदी से होता आया है।

सोनोवाल ने ऐलान किया कि इस मेले के लिए एक स्थायी जमीन आवंटित की जाएगी ताकि भविष्य में भी इस मेले का आयोजन लगातार होता रहे और टूरिज्म को बढ़ावा मिलता रहे। इससे स्थानीय लोगों को लाभ होगा। जुनबील मेला विकास समिति के सचिव जरसिंह बोरदोलोई ने बताया मेले के दौरान यहां बड़ा बाजार लगता है जहां ये जनजातियां वस्तु विनिमय प्रणाली के जरिए अपने उत्पाद का आदान प्रदान करती हैं। देश में अपनी तरह का यह संभवत: अनूठा मेला है।

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