Tuesday, March 19, 2024
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सेना के लिए 'वरदान', भारत-चीन सीमा पर सुरंगें बनाएगा बीआरओ

सुरंगों का निर्माण पूर्वी हिमालय में राज्य के दुर्गम स्थलों से गुजरते हुए तिब्बत के अग्रिम इलाकों तक जल्दी पहुंचने की भारत की कवायद का हिस्सा है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि बीआरओ की वर्तक परियोजना के तहत 42 सीमा सड़क कार्य बल के कमांडर आर एस राव ने

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: July 25, 2017 7:09 IST
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ईटानगर: सीमा सड़क संगठन बीआरओ अरुणाचल प्रदेश में 4170 मीटर ऊंचे सेला र्दा से गुजरने वाली दो सुरंगों का निर्माण करेगा जिससे तवांग से होकर चीन की सीमा तक की दूरी 10 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। बीआरओ की एक विज्ञप्ति में यहां कहा गया, इन सुरंगों से तेजपुर में सेना के 4 कोर्प के मुख्यालय और तवांग के बीच यात्रा के समय में कम से कम एक घंटे की कमी आएगी। इससे बड़ी बात यह है कि इन सुरंगों से यह सुनिश्चित होगा कि एनएच 13 और खासतौर से बोमडिला तथा तवांग के बीच 171 किलोमीटर लंबे रास्ते में हर मौसम में आवागमन हो सकें। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस

सुरंगों का निर्माण पूर्वी हिमालय में राज्य के दुर्गम स्थलों से गुजरते हुए तिब्बत के अग्रिम इलाकों तक जल्दी पहुंचने की भारत की कवायद का हिस्सा है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि बीआरओ की वर्तक परियोजना के तहत 42 सीमा सड़क कार्य बल के कमांडर आर एस राव ने वेस्ट कमेंग के उपायुक्त सोनल स्वरूप से सेला सुरंग के निर्माण के लिए भूमि का अधिग्रहण करने के लिए औपचारिक अनुरोध किया है। इस परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग तक एकल मार्ग को दोहरे मार्ग में परिवर्तित करना शामिल है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसमें सेला-छबरेला रिज के जरिए 475 मीटर और 1790 मीटर लंबी दो सुरंगों को नूरांग की ओर मौजूदा बालीपरा-चौदुर-तवांग रोड से जोड़ने की योजना है। प्रोजेक्ट वर्तक के मुख्य इंजीनियर ने इस निर्माण को मंजूरी दे दी है। अरुणाचल प्रदेश में कलाक्तांग और असम में ओरांग के जरिए भूटान सीमा पर एक छोटी सड़क है लेकिन उसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता। विज्ञप्ति में कहा गया है, सेला सुरंग से तवांग में पर्यटन की संभावनाएं उभरेंगी और ज्यादा पर्यटक आकर्षति करने से तवांग पूर्वोत्तर में सबसे मशहूर स्थल बनेगा।

स्वरूप ने बोमडिला जिला मुख्यालय से सूचित किया कि जमीन अधिग्रहण के लिए सर्वेक्षण मानसून के बाद शुरू किया जाएगा। भारत की सीमाओं पर सड़कों का जिम्मा संभालने वाले बीआरओ ने प्रस्तावित सुरंगों की तकनीकी जानकारियां प्राप्त कर ली है। सर्दी में जब भारी हिमपात के कारण सड़कों से संपर्क टूट जाता है तो ऐसे में ये सुरंगें भारतीय सेना के लिए वरदान साबित होंगी।

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