श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज पुलिस से अपील की कि वह आतंकवादी संगठनों में शामिल होने की खातिर अपने घरों को छोड़ चुके नौजवानों को मुठभेड़ में उनके मारे जाने की बजाय उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश करे।
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बीते 8 जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के स्थानीय कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में पैदा हुई अशांति के बीच मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है। महबूबा ने कहा, ‘जिन्होंने हथियार उठा लिए हैं या जिन्होंने नहीं उठाए हैं, लेकिन अपने घरों से लापता हैं और आतंकवादी संगठनों में शामिल होना चाह रहे हैं...वे स्थानीय लड़के हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं पुलिस से अनुरोध करती हूं कि वह उन्हें वापस उनके घर लाने की कोशिश करे। मुठभेड़ों में उनके मारे जाने की बजाय, यदि उन्हें वापस लाना संभव हो तो, उन्हें मुख्यधारा का हिस्सा बनाएं, उन्हें बल्ले, गेंद दें और उन्हें बंदूकों की बजाय अच्छी शिक्षा मुहैया कराएं।’
श्रीनगर के ज़ेवान इलाके के सशस्त्र पुलिस परिसर में आयोजित पुलिस स्मृति दिवस समारोह को संबोधित करते हुए महबूबा ने कहा कि ऐसे नौजवानों का हाथ थामने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद खत्म करना और शांति बहाल करना सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) हटाने और राज्य में वार्ता प्रक्रिया शुरू करने की पूर्व शर्त है।
मुख्यमंत्री ने कहा, हम बंदूक दिखाकर, पत्थर या लाठियां मारकर किसी को वार्ता के लिए मजबूर नहीं कर सकते। सद्भावनापूर्ण माहौल होने पर ही मैं अपना सिर ऊंचा कर दिल्ली जा सकती हूं। स्थानीय नौजवानों से हिंसा छोड़ने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हालात सुधरने पर अफ्सपा जैसे काले कानून राज्य से हटा दिए जाएंगे।