यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार पूरी एक्शन में है। नई सरकार यूपी की शक्ल-सूरत बदलने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता रही है। शक्ल-सूरत से पूर्ववर्ती सरकारों के हर नमोनिशान को मिटाए जा रहे हैं। लालबत्ती कल्चर से दूर सादगी और सेवक की तस्वीर पेश करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
सीएम आवास से लेकर सत्ता के बड़े प्रतिष्ठानों तक से विलासिता की चीजें हटाई जा रही हैं। खुद सीएम योगी के आदेश से सीएम आवास एसी और विदेशी फर्नीचर हटा दिए गए हैं। विदेशी फर्नीचर की जगह कमरों में दरी और तख्त डाल दिए गए हैं। मंत्री और विधायकों को भी निर्देश जारी किया गया है कि आवास के रंग-रोगन और फर्नीचर में धन की बर्बादी ना करें। एकतरफ हर संभव सादगी अपनाने की कोशिश हो रही है वहीं, दूसरी तरफ योगी सरकार के ही कुछ फैसलों से सरकारी धन की बर्बादी होते दिख रही है।
सरकार के द्वारा हालिया में जारी फैसलों पर नजर दौड़ाएं तो ऐसा लगता है कि या तो सरकारी धन की बर्बादी की ओर उसका ध्यान नहीं है या फिर उसकी चिंता नहीं है। योगी सरकार ने अखिलेश सरकार द्वारा जारी राशन कार्डों को रद्द कर दिया है। अखिलेश की फोटो युक्त कवर वाले राशन कार्डों की जगह स्मार्ट कार्ड की योजना पर काम शुरू हो गया है।
बताते चलें कि विधानसभा चुनाव से पहले ही अखिलेश सरकार ने अंत्योदय और पात्र गृहस्थी के कार्ड का वितरण शुरू कर दिया था। चुनाव से पहले ही अंत्योदय और पात्र गृहस्थी के करीब 2 करोड़ 80 लाख राशन कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। 3 करोड़ 40 लाख राशन कार्ड में से करीब 60 लाख राशन कार्ड बीच में चुनाव आ जाने की वजह से नहीं बंट पाए।
योगी सरकार के ताजे फैसले के तहत शेष राशन कार्ड वितरित नहीं किए जाएंगे और जो बंट चुके हैं उन्हें भी रद्द किया जाएगा। इन राशन कार्डों को दोबारा स्मार्ट कार्ड का रूप देकर वितरित किया जाएगा। समाजवादी राशन कार्ड योजना अखिलेश सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक थी। अखिलेश सरकार ने इसे काफी मशक्कत के बाद राशन कार्ड का प्रारूप तैयार किया था। इसके प्रारूप को तैयार करने में सरकार को करीब 4 साल से अधिक का समय लगा। सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को जो राशनकार्ड साल 2010-11 में बांटे जाने थे उनका वितरण 4 साल बाद साल 2016-17 में शुरू हुआ।
इतनी लंबी अवधि के बाद उपभोक्ताओं के हाथ में कार्ड मिला भी तो मौजूदा सरकार ने इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग ने राशन कार्ड वापस लेने की कवायद भी शुरू कर दी है। नया राशन कार्ड बार कोड युक्त होगा। नए राशन कार्ड में कोटे का लाभ उठाने वाले लोगों की कोड संख्या, मोहल्ला, सीरियल नंबर समेत कई जानकारियां होंगी। सरकार आश्वस्त है कि इन राशन कार्डों के जरिए पीडीएस सिस्टम में होने वाली धांधली पर पूरी तरह लगाम लगाई जा सकेगी। सरकार ने यह भी तय कर दिया है कि जब तक नए राशनकार्ड नहीं छपते तब तक सस्ते गल्ले की दुकानों पर पर्ची के जरिए राशन बांटे जाएंगे।
राजस्व नुकसान से पहले राशन कार्डों की लागत की बात करें तो एक कार्ड की छपाई में औसतन 5 रुपये 70 पैसे सरकारी खजाने से खर्च किया गया है। प्रदेश में करीब 5 करोड़ 10 लाख से अधिक इन योजनाओं के कार्डधारक हैं। सिर्फ प्रिंट हो चुके राशनकार्ड को ही देखें तो राज्य को करीब 20 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा जबकि स्वाभाविक है कि छपाई का ऑर्डर तो पूरे कार्ड यानी करीब 5 करोड़ का हो चुका होगा।
इसके साथ ही साथ नए स्मार्ट कार्ड की लागत को जोड़ दें तो आंकड़ा और बढ़ेगा। सरकार की सादगी के प्रति प्रतिबद्धता के बावजूद 'समाजवादी' शब्द से शुद्धिकरण में सरकारी धन की बहुतायत बर्बादी हो रही है जिसे नजरअंदाज करना नीतिगत बौनापन ही माना जाएगा।
(इस ब्लॉग के लेखक शिवाजी राय पत्रकार हैं और देश के नंबर वन हिंदी न्यूज चैनल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं)