भोपाल: असम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के गुवाहाटी में हुए शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में सिर्फ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बोलने का मौका दिया जाना पार्टी की भावी सियासी तैयारी का संकेत देता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश को 'मॉडल राज्य' के तौर पर पेश कर शिवराज की 'छवि' को भुनाने में पीछे नहीं रहेगी।
सोनोवाल के शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर भाजपा शासित राज्यों में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुधरा राजे सिंधिया, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, गुजरात की आनंदी बेन पटेल, झारखंड के रघुबर दास भी मौजूद थे। मगर उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। इस पर वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर कहना है कि चौहान की पहचान लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में है। हाल में उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का सफल आयोजन किया गया। ऐसा हो सकता है कि इसी वजह से उन्हें बोलने का मौका दिया गया हो।
वहीं भाजपा के प्रदेश संवाद प्रभारी डा. हितेश वाजपेयी का कहना है कि चौहान भाजपा के वरिष्ठतम मुख्यमंत्री और संसदीय दल के सदस्य भी हैं इसलिए उन्हें असम में यह मौका दिया गया। जब उनसे पूछा गया कि रमन सिंह चौहान से अधिक दिनों से मुख्यमंत्री हैं तो उन्होंने कहा कि चौहान संसदीय दल के सदस्य भी हैं। राजनीति के जानकारों की इस मामले में अलग राय है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा मध्य प्रदेश सरकार को मॉडल के तौर पर पेश करना चाहती है इसलएि चौहान को प्रकाश में लाना आवश्यक है। शासयद इसी वजह से प्रधानमंत्री भी कई आयोजनों में मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हैं।
ठीक इसके विपरीत कुछ लोग पार्टी के भीतर चल रही खींचतान से भी इसे जोड़ते हैं। उनका मानना है कि भाजपा देर सवेर मध्य प्रदेश में बड़ा बदलाव करना चाहती है जिसके लिए जरूरी है कि चौहान को राज्य से बाहर की राजनीति में सक्रिय किया जाए और उचित मौका मिलने पर उन्हें केंद्र की राजनीति में कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी जाए।
यहां इस बात को भी याद रखना होगा कि इंदौर के महू में आयोजित डा. अंबेडकर की 125वीं जयंती और फिर उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में आए प्रधानमंत्री मोदी ने चौहान की दिल खोलकर सराहना की थी। चौहान भी प्रधानमंत्री की प्रशंसा का अवसर हाथ से जाने नहीं देते हैं। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि भाजपा की सियासत में चौहान की छवि को किस तरह से भुनाया जाएगा, मगर इतना तो स्पष्ट हो गया है कि भाजपा की राजनीति में चौहान की हैसियत बढ़ रही है।