Saturday, April 20, 2024
Advertisement

ग्राहकों को बदबूदार सड़े-गले नोट दे रहे बैंक, छिड़कना पड़ रहा इत्र

नई दिल्ली: सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों की हालत बेहद खस्ता हो गई है। हालात यह है कि कई जगहों पर बैंकों को ग्राहकों के पुराने नोटों को बदलने के लिए 100

IANS IANS
Updated on: November 19, 2016 18:28 IST
soiled notes- India TV Hindi
soiled notes

नई दिल्ली: सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों की हालत बेहद खस्ता हो गई है। हालात यह है कि कई जगहों पर बैंकों को ग्राहकों के पुराने नोटों को बदलने के लिए 100 रुपये के ऐसे सड़-गले नोट दिए जा रहे हैं, जो न सिर्फ चलन से बाहर हो चुके हैं, बल्कि उन्हें इस्तेमाल लायक बनाने के लिए उनपर इत्र तक छिड़का गया है। दिल्ली में कई ग्राहकों ने आईएएनएस से शिकायत की है कि उन्हें ऐसे नोट मिले हैं, जो न सिर्फ सड़े-गले हैं, बल्कि उनसे बदबू भी आती है। (देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें)

नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक बैंक के मैनेजर ने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को 100 रुपये के उन सड़े-गले नोटों को दे रहा है, जो कई वर्षो से संग्रहित थे और उन्हें नष्ट नहीं किया गया था। इन नोटों से बदबू आती है। ग्राहकों को देने से पहले हम उन नोटों पर इत्र और कीटनाशक छिड़क रहे हैं।"

Also read:

मैनेजर ने कहा कि करोड़ों रुपये के 100 रुपये के नोट ग्राहकों को देने के लिए बैंकों को दिए गए हैं, ताकि नोटबंदी के बाद मांग व आपूर्ति में आई भारी अंतर को पाटा जा सके। बंद किए गए 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों की करेंसी में कुल हिस्सेदारी 86 फीसदी है।

आम तौर पर ऐसे सड़े-गले नोटों को बैंक को वापस कर दिया जाता है, जिसे आरबीआई भेज दिया जाता है, जो इन्हें नष्ट कर देती है। लेकिन ऐसा लगता है कि आरबीआई ने कई वर्षो से ऐसे नोटों को नष्ट नहीं किया था और जब नकदी का भारी संकट पैदा हुआ है, तो ये नोट आरबीआई के काम आ रहे हैं।

नोटबंदी के लगातार नौवें दिन शनिवार को भी नकदी लेने के लिए बैंकों के बाहर लोगों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। वित्त मंत्री व आरबीआई ने हालांकि दावा किया है कि नोटबंदी के कारण बेकार हुए लगभग 14.5 लाख करोड़ रुपये को बदलने के लिए 2,000 रुपये तथा 500 रुपये के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, लेकिन फिर भी नोटों की कमी निश्चित तौर पर सामने आ रही है।

कुछ लोगों ने नोटों की कमी का कारण इसे ढोने में आ रही समस्याओं, जबकि कुछ देश के चार प्रिटिंग प्रेस की नोट छापने की क्षमता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लोगों का कहना है कि मांग व आपूर्ति के बीच आई इस खाई को पाटने में छह से नौ महीने का वक्त लगेगा।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement