Thursday, March 28, 2024
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अल्लाउद्दीन खिलजी करता था अपने गुलाम से बेपनाह मुहब्बत, नौजवान और बिना दाढ़ी वाले मर्द थे उसकी कमजोरी

अलाउद्दीन खिलजी को लेकर कई किताबों में दावा किया गया है कि उसके हरम में महिलाओं के साथ-साथ कई पुरुष थे। इतिहासकारों की मानें तो उसके हरम में करीब 70 हजार आदमी, औरतें और बच्चे शामिल थे। इतिहास में ये भी दावा किया गया है कि नौजवान और बिना दाढ़ी वाले मर

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Updated on: January 25, 2018 8:26 IST
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नई दिल्ली : चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मावती को लेकर अलग-अलग इतिहासकार अलग-अलग बातें कहते हैं। कोई कहता है ‘पद्मावती’ नाम की कोई रानी थी ही नहीं तो कोई कहता है कि ये केवल कोरी कल्पना है। हालांकि पद्मावती का जिक्र मशहूर कवि मलिक मोहम्मद जायसी की किताब ‘पद्मावत’ में जरुर मिलता है लेकिन अल्लाउद्दीन खिलजी की एक प्रेम कहानी ऐसी है जिसे लेकर इतिहासकारों को कोई शक नहीं है। ये कहानी है खिलजी के एक गुलाम मलिक काफूर (किन्नर) से प्यार की। जिसका जिक्र दिल्ली सल्तनत के उस दौर के प्रमुख विचारक और लेखक जियाउद्दीन बरनी ने किया था। बरनी ने अपनी मशहूर किताब "तारीख-ए-फिरोजशाही" में खिलजी और काफूर के प्यार का खुला जिक्र है।

चाचा को मारकर दिल्ली सल्तनत का दूसरा सुल्तान

1296 ईस्वीं में अपने चाचा को मारकर दिल्ली सल्तनत का दूसरा सुल्तान बनने वाले अलाउद्दीन खिलजी के बारे में इतिहास की किताबों में दर्ज है अय्याश खिलजी और मलिक काफूर के बीच के रिश्ते का सच। जिस दौर में आधे से ज्यादा हिंदुस्तान पर खिलजी का शासन था उसी दौर में मलिक काफूर नाम का एक किन्नर खिलजी का सबसे खासमखास हुआ करता था। माना जाता है कि मलिक काफूर को खिलजी के सिपहसालार नुसरत खान ने 1297 में गुजरात फतेह के बाद एक हजार दीनार में खरीदा था इसीलिए काफूर का एक नाम 'हजार दिनारी' भी था।

कौन था मलिक काफूर?

कुछ इतिहासकार मानते हैं कि हिन्दू परिवार में जन्मा काफूर जन्म से किन्नर था लेकिन ज्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि खिलजी ने काफूर को नपुंसक बनाकर उसे मुसलमान बनवाया था। बहरहाल काफूर केवल खिलजी का प्रेमी नहीं था वो एक बहादुर योद्धा भी था। उसने खिलजी के लिए मंगोलों के साथ और दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण युद्धों में हिस्सा लिया। इतिहास की किताबों में दर्ज है कि खलनायक सुल्तान खिलजी के नायब ने दक्षिण भारत में जमकर मार-काट मचाई और कई हिंदू राज्यों पर कब्जे के लिए लगातार आक्रमण करता गया।

मलिक काफूर ने दक्षिण भारत के कई मंदिरों को नुकसान पहुंचाया। मदुरे के पौराणिक और मशहूर मीनाक्षी मंदिर को भी अलाउद्दीन खिलजी के भरोसेमंद मलिक काफूर ने तहस-नहस कर दिया था और लूट की मोटी रकम के साथ दिल्ली लौट गया था। लेखक जियाउद्दीन बरनी के मुताबिक काफूर से खिलजी को इतना प्यार था कि उसने काफूर को अपनी सल्तनत में दूसरा सबसे अहम ओहदा मलिक नायब का दिया था।

खिलजी ने जब दौलत के लिए दक्षिण भारत पर आक्रमण का फैसला किया तो उसकी जिम्मेदारी मलिक काफूर को ही दी गई। खिलजी के हुक्म पर मलिक काफूर ने दक्षिण भारत के कई इलाकों में जमकर मारकाट और लूटपाट की। मलिक काफूर सिर्फ दौलत ही नहीं लूटता था बल्कि जंग के बाद अलग अलग इलाकों से बंधक बनाई गई लड़कियों को खिलजी के हरम में शामिल करने के लिए दिल्ली भेज देता था।

उसके हरम में महिलाओं के साथ-साथ कई पुरुष थे

अलाउद्दीन खिलजी को लेकर कई किताबों में दावा किया गया है कि उसके हरम में महिलाओं के साथ-साथ कई पुरुष थे। इतिहासकारों की मानें तो उसके हरम में करीब 70 हजार आदमी, औरतें और बच्चे शामिल थे। इतिहास में ये भी दावा किया गया है कि नौजवान और बिना दाढ़ी वाले मर्द उसकी कमजोरी माने जाते थे लेकिन कहा जाता है कि मलिक काफूर की जगह कोई नहीं ले सका। मलिक काफूर अलाउद्दीन खिलजी के लिए इतना खास था कि वो उस पर खुद से भी ज्यादा यकीन करने लगा था।  

काफ़ूर को लेकर सुल्तान की दीवानगी दिनों-दिन ग़हरी होती गई। इतिहास में दर्ज है कि अलाउद्दीन खिलजी के आख़िरी चार-पांच बरसों में मलिक क़ाफ़ूर निरंकुश हो गया था। अंतिम बरसों में खिलजी की याददाश्त कम होती गई और सल्तनत का असल सुल्तान मलिक काफ़ूर बन गया। सुल्तान की मर्ज़ी से उसने अलाउद्दीन खिलजी के बेटों को या तो अंधा बना दिया या फिर जेल की सलाखों में डाल दिया।

मलिक काफ़ूर ने अलाउद्दीन खिलजी को अपनी उंगलियों पर नचाया

बहरहाल क्या खिलजी और काफ़ूर के बीच नजायज़ रिश्ते थे और यही रिश्ते दोनों के बीच बुनियाद थे? जो भी हो इतना तो तय था कि मलिक काफ़ूर ने अलाउद्दीन खिलजी को अपनी उंगलियों पर नचाया और आखिरकार 1316 ईंस्वी में बीमार खिलजी ने दिल्ली में दम तोड़ दिया और इस तरह एक खलनायक का अंत हुआ।

गौरतलब है कि संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर आज पूरे देश में घमासान मचा हुआ है। 700 साल पहले मर चुके अलाउद्दीन खिलजी की अचानक से सियासत में एंट्री हो गई है और उसके नाम पर राजनीति होने लगी है। वो चुनाव का मुद्दा बन गया है। हिंदुस्तान के कई सूबे सुलगने लगे हैं। राजपूत समाज विरोध प्रदर्शन कर रहा है। हर तरफ खिलजी को खलनायक बताया जा रहा है और इसकी वजह है फिल्म पद्मावती जो चित्तौड़गढ़ की महारानी पद्मावती की कहानी बताई जा रही है।

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