मुंबई: टाटा संस के अध्यक्ष पद से साइरस पी. मिस्त्री को हटाने के बाद यह मामला अब कानूनी लड़ाई में तब्दील होने लगा है। कहा जा रहा है कि मिस्त्री वरिष्ठ वकीलों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं। उधर, टाटा समूह ने भी सर्वोच्च न्यायालय, बंबई उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण में कैविएट याचिका दाखिल कर फैसले से पहले पक्ष बनाने की अपील की है।
अभिषेक मनु सिंघवी और हरीश साल्वे समेत वकीलों का एक दल टाटा की तरफ से मामले को देख रहा है। सिंघवी ने कहा कि 'पूर्व चेतावनी' के तौर पर ये कैविएट दाखिल किए गए हैं, ताकि बिना उसके मामले की सुनवाई न हो।
शापूरजी पालोनजी समूह मिस्त्री के पिता का समूह है, जिसकी टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है। समूह का कहना है कि वे परिस्थितियों का अध्ययन कर रहे हैं और उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
मंगलवार को शापूरजी पालोनजी समूह ने कहा कि वह इस अप्रत्याशित कॉरपोरेट तख्तापलट की 'परिस्थिति का अध्ययन' कर रही है। मिस्त्री ने हालांकि आधिकारिक रूप से इस पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके अगले कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।
शापूरजी पालोनजी समूह के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, "न तो एसपी समूह और न ही साइरस मिस्त्री ने अभी तक कोई बयान दिया है। फिलहाल परिस्थितियों का अध्ययन किया जा रहा है। इस स्तर पर मीडिया द्वारा मुकदमेबाजी की अटकलें लगाने का कोई आधार नहीं है।" कंपनी ने कहा कि जब जरूरी होगा तब इस पर बयान जारी किया जाएगा।
सिंघवी मंगलवार शाम दिल्ली से मुंबई रवाना हुए। उन्होंने एक अंग्रेजी न्यूज चैनल इउसे कहा कि टाटा संस के बोर्ड के लगभग सभी सदस्यों (9 में से 7) ने मिस्त्री में अपना भरोसा खो दिया था। उन्होंने कहा कि विश्वास की कमी साफ झलक रही थी। सिंघवी ने कहा कि रतन टाटा जोकि अंतरिम अध्यक्ष बनाए गए हैं, ब्रांड टाटा के प्रति प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने जो भी किया है, समूह की भलाई के लिए किया है।
टाटा संस के अंतरिम अध्यक्ष रतन एन. टाटा ने मंगलवार को समूह की कंपनियों में संभावित बदलाव के संकेत दिए और उन्होंने समूह की कंपनियों से "संबंधित बाजार में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने तथा शेयरधारकों का रिटर्न बढ़ाने" पर ध्यान देने की गुजारिश की।
टाटा ने समूह की कंपनियों के प्रबंध निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों से कहा, "कंपनियों को बाजार में अपनी स्थिति और प्रतिस्पर्धा पर ध्यान देना चाहिए, न कि उन्हें अपने अतीत के साथ तुलना करनी चाहिए। कंपनियों की कोशिश बाजार का नेतृत्व करने की होनी चाहिए, न कि अनुसरणकर्ता बनने की।"
उन्होंने समूह की कंपनियों के शीर्ष नेतृत्व से 'नेतृत्व में परिवर्तन से चिंतिंत हुए बिना' संबंधित कारोबार पर ध्यान देने को कहा।
साइसस पी. मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद टाटा संस का अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने के एक दिन बाद रतन टाटा का यह पहला बयान है। उन्होंने कहा, "किसी संस्था को उसके लोगों से अधिक बड़ा होना चाहिए। मुझे आप सब पर गर्व है कि इस समूह का निर्माण हम साथ मिलकर कर रहे हैं।"
कंपनियों के कामकाज में संभावित परिवर्तन की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही पहलों का मूल्यांकन किया जाएगा और जिन्हें जारी रखने की आवश्यकता होगी, उन्हें जारी रखा जाएगा। उन्होंने कंपनी के शीर्ष अधिकारियों को आश्वस्त किया, "अगर कोई बदलाव होगा, तो पहले आपसे चर्चा की जाएगी।"
टाटा ने कहा कि उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष का पद "स्थिरता और निरंतरता के लिए स्वीकारा, ताकि कामकाज में कोई व्यवधान न पड़े।" उन्होंने आश्वस्त किया कि यह अल्पकालिक व्यवस्था है और नया नेतृत्व शीघ्र स्थान ग्रहण करेगा।