Friday, March 29, 2024
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बेगम जान

बेगम जान बंगाली फिल्म 'राजकाहिनी' का हिंदी रीमेक है। कहानी कोठे में रहने वाली 11 महिलाओं की है, जो अपना कोठा बचाने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे देती हैं।

Jyoti Jaiswal Jyoti Jaiswal
Updated on: June 02, 2017 18:52 IST
Begum Jaan
Begum Jaan
  • फिल्म रिव्यू: Begum Jaan
  • स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
  • पर्दे पर: 14 अप्रैल 2017
  • डायरेक्टर: श्रीजीत मुखर्जी
  • शैली: एक्शन-ड्रामा

अभिनेत्री विद्या बालन की फिल्म 'बेगम जान' साल 2015 में आई बंगाली फिल्म 'राजकाहिनी' का हिंदी रीमेक है। कहानी कोठे में रहने वाली 11 महिलाओं की है, जो अपना कोठा बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देती हैं।

फिल्म शुरू होती है उस घटना से जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। फिल्म का पहला सीन निर्भया के रेप से प्रेरित है, लेकिन इस फिल्म में निर्भया का रेप होने से बच जाता है, कैसे? वो आप फिल्म देखकर ही जानिएगा। यह सीन आपको भीतर तक झकझोर कर रख देगा। पहला सीन ही देखकर लगता है कि वाकई श्रीजीत मुखर्जी ने कमाल की फिल्म बनाई है। लेकिन जैसे ही फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है, स्क्रीनप्ले थोड़ा कमजोर पड़ जाता है, लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म फिर से रफ्तार पकड़ लेती है। फिल्म का क्लाइमेक्स आपको हैरान कर देगा और आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि साल 1947 के वक्त देश में महिलाओं के जो हालात थे वो 70 साल बाद 2017 में भी वही है।

फिल्म की कहानी बेगम जान की है, जो एक कोठे की मालकिन है। 1947 का समय है जब भारत अंग्रेजों के 200 सालों के शासन के बाद आजाद होता है, लेकिन ये आजादी बर्बादी लेकर आती है। संघर्ष होता है दंगे होते हैं, और इस बंटवारे के बीच आता है बेगमजान का कोठा। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के लिए जो रेडक्लिफ लाइन खींची जाती है वो बेगम जान के कोठे के बीचो-बीच से गुजरती है। बेगम जान से कोठा खाली करने को कहा जाता है, उनपर कई तरह के जुल्म किये जाते हैं लेकिन बेगम जान और कोठे की अन्य महिलाएं अपने कोठे जिसे वो अपना महल कहती हैं, उसे बचाने के लिए बंदूक उठा लेती हैं।

विद्या बालन ने अपने अभिनय में जान डाल दी है, 'कहानी 2' की असफलता के बाद उन्हें ऐसे ही रोल की जरूरत थी। विद्या ने पूरे किरदार को अपना लिया है, और वो प्रभावित करती हैं। विद्या की तुलना बंगाली फिल्म 'राजकाहिनी' की बेगम जान ऋतुपर्णा घोष से होनी लाजिमी है। दोनों ही अभिनेत्रियां राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हैं, फिल्म देखकर लगता है ऋतुपर्णा का ये किरदार अगर कोई कर सकता है तो वो विद्या ही हैं। गौहर खान भी अपने किरदार में अच्छी लगी हैं। एक जगह गौहर खान अपने प्रेमी को शरीर का मतलब समझाती हैं, कि ये शरीर कपड़े की तरह है जिसे वेश्याएं हर रोज बदलती हैं, वहां गौहर प्रभावित करती हैं।

अभिनेत्री इला अरुण अम्मा के किरदार में हैं जो कहानियां सुनाती हैं वो अंदाज भी आपको प्रभावित करेगा। पल्लवी शारदा,  रिद्धिमा तिवारी, पूनम सिंह राजपूत, प्रियंका सेठिया, फ्लोरा सैनी, रविजा चौहान इन सभी महिलाओं ने स्क्रीन पर अपनी छाप छोड़ी है। सीरियल 'बालिका वधू' में आनंदी की बेटी निंबोली का किरदार निभाने वाली ग्रेसी गोस्वामी भी आपको फिल्म में दिखेंगी। एक सीन में आप ग्रेसी को देखकर हैरान रह जााएंगे। शबनम बनी मिष्टी चक्रवर्ती का फिल्म में कोई डायलॉग नहीं है लेकिन उसका चेहरा उसकी सारी भावनाएं उजागर करता है। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह के रोल से मुझे निराशा हुई, इतने मंझे हुए कलाकार को बहुत ही कमजोर रोल दिया गया। राजाजी बने नसीरुद्दीन कहीं भी प्रभावित करते नहीं दिखे हैं, उनका रोल बहुत छोटा था और वो विद्या के साथ 'इश्किया' और 'डेढ़ इश्किया' वाला जादू दिखाने में नाकाम रहे हैं।

फिल्म में चंकी पांडे ने कबीर नाम के ऐसे शख्स का रोल निभाया है जो पैसों के लिए दंगा करवाता है। चंकी इस फिल्म में अलग लुक में नजर आ रहे हैं, उसे देखकर आपको उससे नफरत हो जाएगी और यही चंकी की जीत है। आशीष विद्यार्थी और रजित कपूर का किरदार भी काफी मजबूत है।

फिल्म के एक सीन में मिष्टी यानी शबनम को राजा जी के लिए तैयार किया जाता है, उसी के साथ दूसरा सीन चल रहा होता है जहां भारत पाकिस्तान का बॉर्डर तैयार होते दिखाया जाता है। एक तरफ एक महिला की इज्जत तार-तार हो रही होती है दूसरी तरफ तार बांधकर देश को दो हिस्सों में बांटने की तैयारी हो रही होती है। यह दृश्य हमें सोचने पर मजबूर कर देता है कि चाहे औरत हो या देश उसकी इज्जत से खेलने पर बर्बादी ही हाथ आती है।

फिल्म का निर्देशन कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी ने किया है। फिल्म पर की गई उनकी मेहनत साफ झलकती है।

फिल्म की कहानी काफी अच्छी है लेकिन स्क्रीनप्ले थोड़ा सा कमजोर लिखा गया है, उसे और मजबूत और कसा हुआ किया जा सकता था।

फिल्म के गाने अच्छे हैं जो बीच-बीच में आकर कहानी को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। यह फिल्म आप सभी को जरूर देखनी चाहिए। 'बेगम जान' को हम 3.5 स्टार देते हैं।

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