Saturday, April 20, 2024
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'पद्मावती' विवाद पर शबाना आजमी ने दिया यह बयान

शबाना आजमी का मानना है कि भारत संजय लीला भंसाली की 'पद्मावती' के विरोध को लेकर अति राष्ट्रवाद का सामना कर रहा है।

India TV Entertainment Desk Written by: India TV Entertainment Desk
Published on: November 26, 2017 11:40 IST
shabana azmi- India TV Hindi
Image Source : PTI shabana azmi

नई दिल्ली: शबाना आजमी का मानना है कि भारत संजय लीला भंसाली की 'पद्मावती' के विरोध को लेकर अति राष्ट्रवाद का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश की स्थिति 'खतरनाक' है। शबाना ने टाइम्स दिल्ली लिटफेस्ट में 'राष्ट्रवाद' पर चर्चा के दौरान कहा, "हम जो अभी देख रहे हैं, वह अति राष्ट्रवाद है। यह कुछ ऐसा है जो खतरनाक है। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है।"

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान भंसाली को कई व्यवधानों का सामना करना पड़ा था लेकिन फिल्म रिलीज की तारीख नजदीक आने के बाद फिल्म को लेकर विरोध लगातार बढ़ने लगे। ऐसा माना जा रहा है कि राजपूत रानी पद्मावती को लेकर फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है। भंसाली ने लगातार इन आरोपों से इंकार किया है।

फिल्म की रिलीज की तारिख 1 दिसंबर से टाल दी गई है लेकिन हिंदू संगठनों का प्रयास है कि इस फिल्म को प्रतिबंधित कर दिया जाए। शबाना ने फिल्म उद्योग को इस खराब विवाद और 'पद्मावती' फिल्म के रिलीज के विरोध पर एकजुट होने का आह्वान किया और कहा कि कला की आलोचना करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन दीपिका को जान से मारने की धमकी सही नहीं है।

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उन्होंने कहा, "आलोचना सही है, विरोध सही है, आप पूरी तरह असहमत हो, यह कहना सही है लेकिन यह सही नहीं है कि आप जान से मारने की धमकी दो(दीपिका के संदर्भ में)। एक अभिनेत्री के तौर पर, एक सहकर्मी के तौर पर, फिल्म उद्योग के सदस्य के तौर पर, मुझे लगता है आज जितना बुरा दौर है उतना पहले कभी नहीं था।"

शबाना ने कहा, "कला का मतलब सुंदरता दिखाना या लोरी सुनाना नहीं है। यह हमारी आवाज बुलंद करने के लिए भी है। यह विरोध जताने योग्य बनने के लिए भी है, यह उकसाने के लिए भी है। कला का मतलब सिर्फ मनोरंजन करना नहीं, संतुष्ट करने के लिए नहीं बल्कि उकसाने के लिए भी है।"

अभिनेत्री ने कहा कि राष्ट्रवाद और देशभक्ति के बीच एक बेहद पतली रेखा होती है हालांकि यह दोनों किसी एक बिंदू पर गड्डमड्ड हो जाते हैं। उन्होंने कहा, "समाज में जो हो रहा है, आप उस पर आलोचनात्मक हो सकते हो। इसका मतलब यह नहीं है कि आप देशभक्त नहीं हो। अगर आप कहते हो कि लड़कियों को जिंदा दफना दिया जाता है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप देशभक्त नहीं हो बल्कि इसका मतलब यह है कि आप यह कहना चाहते हो कि यह गलत है और इसे नहीं होना चाहिए।"

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