Thursday, April 18, 2024
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बच्चों को शिक्षित करने का सबसे अच्छा जरिया है फिल्में- रवीना टंडन

एक सप्ताह लंबा महोत्सव सीरीफोर्ट में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय जूरी के अतिरिक्त इस साल एक युवा जूरी बोर्ड भी है जिसमें बच्चों ने फिल्मों के चयन में अपने सुझाव दिए हैं।

Jyoti Jaiswal Reported by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Updated on: December 12, 2017 21:53 IST
RAVEENA TANDON- India TV Hindi
Image Source : PTI RAVEENA TANDON

नई दिल्ली: अभिनेत्री रवीना टंडन का मानना है कि फिल्में बच्चों के लिए सीखने का एक अनुभव हो सकती है। स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल फॉर चिल्ड्रन एंड यूथ (सिफ्सी) के सोमवार को तीसरे संस्करण का उद्धघाटन करते हुए रवीना ने एक बयान में कहा, "यह ऐसा महोत्सव है जिस पर हर किसी को गर्व होना चाहिए। यह एक ऐसा फिल्म महोत्सव भी है, जो केवल और पूरी तरह से बच्चों के लिए है। मैं चाहती हूं कि बच्चे यह संकल्प लें कि वे यहां से जो कुछ भी सीखेंगे, उनका अनुसरण अपने दैनिक जीवन में करेंगे।"

उन्होंने कहा, "फिल्में हमारे बच्चों को शिक्षित करने का सबसे अच्छा माध्यम है, और इसलिए मैं सिफ्सी को भी धन्यवाद देना चाहती हूं जिसने हमारे बच्चों में अच्छाई का संचार करने के लिए एक माध्यम के रूप में काम किया, क्योंकि बच्चों के लिए क्या सही है और क्या गलत, यह बात उन्हें सिखाने का सही समय है।"

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एक सप्ताह लंबा महोत्सव सीरीफोर्ट में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय जूरी के अतिरिक्त इस साल एक युवा जूरी बोर्ड भी है जिसमें बच्चों ने फिल्मों के चयन में अपने सुझाव दिए हैं।

स्माइल फाउंडेशन के एक्जीक्यूटिव ट्रस्टी और सिफ्सी के अध्यक्ष शांतनु मिश्रा ने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि सिफ्सी के माध्यम से, हम बच्चों व युवाओं की ऊर्जा को एक सकारात्मक तरीके से मार्ग दिखाने और सामाजिक परिवर्तन लाने की प्रक्रिया में उन्हें सक्रिय रूप से शामिल करने में सक्षम होंगे।"

उन्होंने कहा, "सिफ्सी के पीछे का आइडिया इंफोटेनमेंट उद्योग में बढ़ती दिलचस्पी पैदा करने और उन्हें सहयोग देने के लिए फिल्म कार्यक्रमों का उत्कृष्ट मिश्रण का निर्माण करना है। इसमें वह प्रोग्रामिंग भी शामिल है जो विश्व सिनेमा के लिए दर्शकों को तैयार करती है, साथ ही करियर के विकास में फिल्मनिर्माताओं का सहयोग भी करना ताकि गंभीर परंतु प्रभावी सामाजिक संदेशों का प्रसार करने के लिए एक केंद्रित रीति में इस शक्तिशाली माध्यम को और खोजा जा सके।"

महोत्सव के निदेशक जीतेन्द्र मिश्रा ने कहा, "फिल्म निर्माण, सिनेमेटोग्राफी, साउंड डिजाइन, प्रोडक्शन डिजाइन, स्टोरी टेलिंग और फोटोग्राफी पर इंडस्ट्री के विशेषज्ञों द्वारा नियमित तकनीकी वर्कशॉप्स के अलावा, हमने 'पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन', 'सड़क सुरक्षा', 'जीवन कौशल का विकास' और सिनेमा की भूमिका पर पैनल चर्चा और मंचों का आयोजन भी किया है।" 30 से ज्यादा देशों से 100 से ज्यादा फिल्मों को इस साल के फेस्टिवल में प्रदर्शित किया जाएगा।

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